Thursday, March 27, 2014

“81म सगर राति‍ दीप जरए :: हमरा नजरि‍मे, हम दुर्गानन्‍द मण्‍डल

81म सगर राति‍ दीप जरए कथा गोष्‍ठी देवघरमे

:: हमरा नजरि‍मे, हम दुर्गानन्‍द मण्‍डल

दि‍नांक 22/03/2014 तदनुसार दि‍न शनि, स्‍थान देवघर (बाबाधाम) झारखण्‍ड बि‍हारमे सगर राति‍ दीप जरए केर 81म कथा गोष्‍ठीक आयोजन। स्‍व. मायानन्‍द मि‍श्र एवं जीवकान्‍तक स्‍मृति‍मे समरपि‍त। स्‍थान बम्‍पास टॉनक बि‍जली कोठी-3। समए साँझ 6 बजेसँ भि‍नसर 6 बजे धरि‍। सफल सम्‍पन्न भेल। संयोजक छला श्री ओम प्रकाश झा आयोजक। हिनकर गहि‍ंकी नजरि‍ गोष्‍ठीक मादे सुक्षत्‍म बात धरि‍ राति‍ भरि‍ रहलनि‍। सफलताक श्रेय झाजीक वि‍भागीय कर्मठ सहयोगी आ मैथि‍ली प्रेमी आनो-आनो मैथि‍ल जि‍नकर सहयोग बि‍सरल नै जा सकत। दर-दतमनि‍सँ लऽ तेल साबून, जलखै-जलपान आ भोजन-भात धरि‍ सतत् रहलनि‍। जइमे कि‍छु खास चेहरा जे बि‍सरल नै जा सकै छथि‍ ओ सभ छथि‍ अवकाश प्राप्‍त अभि‍यंता श्री ओ.पी. मि‍श्रा, सुशील भारती, दि‍लीप दास इत्‍यादि‍ हुनक वि‍भागीय सहयोगीगण।
पूर्व जनतब आ मोबाइल मैसेजिंग केर अधारपर पूर्वहिंसँ नै मात्र मि‍थि‍लांचल अपि‍तु भारत भरि‍सँ मैथि‍लीक प्रेमी कथाकार लोकनि‍ अपन उपस्‍थि‍ति‍ दर्ज कऽ सगर राति‍ दीप जरए केर ऐ अनुपम गोष्‍ठीमे गोष्‍ठीक राति‍क रूपमे बन्‍हने रहला। राति‍ छोट आ कथा आ कथाकार अधि‍क भऽ गेला। ईहो एक तरहक गोष्‍ठीक सफलताक परि‍चायक छल हमरा नजरि‍मे।
गोष्‍ठीक उद्घाटनकर्ताक रूपमे मुख्‍य अति‍थि‍ श्री ओ.पी.मि‍श्राजी दीप प्रज्‍वलि‍त कऽ केलनि‍। मि‍श्रा जीक संग आयोजक ओमजी, संचालक गजेन्‍द्र ठाकुर, अध्‍यक्ष जगदीश प्रसाद मण्‍डलजी आ हम तथा हमरा संग उमेश मण्‍डलजी एवं आनो-आन जेते उपस्‍थि‍त कथाकार-साहि‍त्‍यकार रहथि‍ सभ कि‍यो देलनि‍।
पछाति‍ श्री एस.के.मि‍श्राजी मंगलाचरणक उच्‍चारण केलनि‍। मैथि‍लीक भि‍खाड़ी ठाकुर रामदेव प्रसाद मण्‍डल झारूदारजी नव सृजि‍त स्‍वागत गीत हम नै छी अहाँ योग यौ पाहुन...। गाबि‍ समस्‍त मैथि‍ल आ मि‍थि‍लाक मान बढ़ौलनि‍। बि‍जली कोठीक सभागार कथाकार लोकनि‍सँ पूर्णत: भरल काफी अइल-फइल जगह, सभ कथुक बेवस्‍थो उत्तम। सभागारक शोभामे मि‍डि‍याकर्मीक उपस्‍थि‍ति‍सँ आरो चारि‍ चान लागि‍ गेल।
शरू भेल पोथी लोकार्पण सत्र जइमे शि‍वकुमार झा टि‍ल्‍लू रचि‍त समालोचनाक पोथी अंशु’ लोकार्पणकर्ता श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल अध्‍यक्ष, राजदेव मण्‍डल आ बेचन ठाकुर छला। अंग्रेजी-मैथि‍ली शब्‍दकोष भाग-2, मैथि‍ली-अंग्रेजी कम्‍प्‍यूटर शब्‍दोकाष आ बेचन ठाकुरक ऊँच-नीच नाटकक लोकार्पण सेहो भेल। श्री गजेन्‍द्र ठाकुरक संपादि‍त दू गोट अति‍महत्‍वपूर्ण पोथी जि‍नोम मैपिंग-भाग-2 आ जि‍नि‍योलोजि‍कल मैपिंग 450 एडीसँ 2009 एडी धरि‍क मि‍थि‍लाक पंजी प्रवन्‍धक लोकार्पण आयोजक श्री ओम प्रकाश झा, डॉ. योगानन्‍द झा आ श्री राजीव रंजन मि‍श्रा जीक हाथसँ भेल।
शुरू भेल कोष्‍ठीक परि‍पेक्ष्‍यमे दू शब्‍द। दू शब्‍दक कड़ीमे श्री मान् ओ.पी. मि‍श्रा, दि‍लीप दास, सुशील भारती, ओम प्रकाश झा इत्‍यादि‍ लोक मैथि‍लीक सहज वि‍कासक लेल अपन उनमुक्‍त वि‍चार रखलनि‍। मैथि‍लीक वि‍कास दि‍नानुदि‍न हएत आ मैथिल धनी हेता। कथा गोष्‍ठीमे कुल मि‍ला कऽ सात गोट पाली बनल। कुल मि‍ला कऽ 34 गोट छोट-पैघ लघुकथा वा वि‍हनि‍ कथाक पाठ भेल। गोष्‍ठीक वि‍शेषता ई रहल जे प्रति‍येक पालीमे कथा वाचनक बाद पहि‍ले समीक्षा कएल गेल पछाति‍ समीक्षाक समीक्षा वरि‍ष्‍ठ समीक्षक लोकनि‍ द्वारा भेल। पहि‍ल सत्रमे चारि‍ गोट कथाकारक कथा जेना असली हीरा दुर्गानन्‍द मण्‍डल, रि‍क्‍शाक भाड़ा आ वुधि‍ए बताह फागुलाल साहु, बुढ़ि‍या मैया ओम प्रकाश झा आ उमेश मण्‍डल जीक केते बेर कथाक पाठ कएल गेल। ऐ पालीक समीक्षकक रूपमे डॉ. योगानन्‍द झा, श्री राजदेव मण्‍डल, श्री प्रमोद कुमार झा आ श्री अरवि‍न्‍द ठाकुरजी रहथि‍। समीक्षाक समीक्षकक रूपमे श्री नन्‍द वि‍लास राय, चन्‍दन झा आ डॉ. धनाकार ठाकुर छला। हि‍नका लोकनि‍क उपस्‍थि‍ति‍ मंचपर कथा वाचनसँ पूर्वसँ छल, जइसँ ओ लोकनि‍ पूर्णरूपेण वकोधि‍यानम् भऽ कथा श्रवण करथि‍ आ सम्‍पूर्ण रूपेँ समीक्षा हुअए।  
समीक्षाक समीक्षकक रूपमे अरवि‍न्‍द्र ठाकुरजी एकटा महतपूर्ण कही आकि‍ आर कि‍छु, टि‍प्‍पणी देलनि‍ जे सगर राति‍ दीप जरए कथा गोष्‍ठीक एकटा नि‍अम रहल जे समीक्षापर समीक्षा नै हेबक चाही। कि‍एक तँ गोष्‍ठीमे वि‍वाद उत्पन्न भऽ सकैए। दोसर गप ई जे जइ कथाकारक कथापर समीक्षा हुअए ओ स्‍वयं टि‍प्‍पणी नै करथि‍। जैपर मंच संचालक महोदय अपन महतपूर्ण वक्‍तव्‍यसँ समीक्षक लोकनि‍केँ सन्‍टुष्‍ट कएल। प्रति‍समीक्षाक क्रममे एकटा आर बात आएल जे कथाक गहराइकेँ आधुनीक पाठक स्‍वागत नै करैए जे कथाक दोष भेल। फलस्‍वरूप पाकक अभाव अछि‍ मैथि‍ली साहि‍त्‍यमे।
मंच संचालक महोदय असहमति‍ ऐ प्रकारे देलनि‍ जे ई तँ भाषाक वि‍शेषाता छि‍ऐ जे कथानककेँ गहराइ प्रदान करत। पाठकक अभावक कारण आरो-आर कारण सभ रहल अछि‍। आजुक गहींरगर कथा पाठककेँ खूब जोड़ि‍ रहल अछि‍।
प्रति‍समीक्षकक रूपमे डॉ. धनाकर ठाकुरक एहेन वि‍चार आएल जेना मनो भरि‍ दूधमे पाभरि‍ फि‍टकि‍री पड़ि‍ गेल हो। जेना छोटी लाइनक गाड़ी एकाएक पाठि‍ बदलि‍ कोना दोसर लाइनपर चलि‍ गेल हो आ कोनो पैघ दुर्घटना होइत-होइत बँचल हो। हुनक बात-
अहाँ लोकनि‍क समीक्षा मुँह देखि‍ मुंगबा रहैए जे फल्‍लां एहेन कथाकार छथि‍, ई कथा एहेन अछि‍ तँए एकर समीक्षा एना-नै-एना करी।
सम्‍पूर्ण कथा गोष्‍ठीक शोभा अपन-अपन समीक्षीय वि‍चार दऽ बढ़बैत रहला।
दोसर सत्रमे श्री नन्‍द वि‍लास राय जीक भी.आई.पी. गेस्‍ट, राजदेव मण्‍डलक डरक डंका, राम वि‍लास साहुक मजबूरी आ इमानदारीक पाठ, ललन कुमार कामतक अप्‍पन माए-बाप कथाक पाठ भेल।
समीक्षक लोकनि‍ अपन-अपन वि‍चार रखलनि‍। पछाति‍ आयोजक महोदयक तरफसँ भोजन हेतु बीझो भेल। एकपति‍आनीमे बैस करीब सबा सए गोटे एक संग बैस भोजन केलनि‍। भोजनक लेल मि‍थि‍लाक माटि‍-पानि‍ परहक उपजल तीमन-तरकारीक बेवस्‍था छल। कथुक कमी नै। एहेन बुझना जाइ छल जेना मरजादी भोज हो। भोजनक घंटा भरि‍ पछाति‍ अगि‍ला सत्रक शुभारम्‍भ भेल। जइमे नि‍म्न कथाक पाठ भेल-

छि‍न्ना-झपटी- श्री शि‍व कुमार मि‍श्र (बेरमा)
बड़का मोछ- श्री कपि‍लेश्वर राउत (बेरमा)
उतेढ़क श्राद्ध- श्री शम्‍भू सौरभ (बैका)
जाति‍क भोज- श्री उमेश पासवान (औरहा)

गुरुदक्षि‍णा- डाॅ. योगानन्‍द झा (कबि‍लपुर)
अपराध- श्री पंकज सत्‍यम् (मधुबनी लगक)
ककर चरवाही आ चुनावधर्मी लोक- डॉ. उमेश नारायण कर्ण
कबाउछ- डॉ. धनाकर ठाकुर

आन्‍हर- श्री अखि‍लेश कुमार मण्‍डल (बेरमा)
सरकारीए नौकरी कि‍एक- बि‍पीन कुमार कर्ण (रेवाड़ी)
बनमानुष आ मनुष- डाॅ. शि‍वकुमार प्रसाद (सि‍मरा)
वृधापेंसन आ मजबुरी- श्री शारदानन्‍द सि‍ंह
पानि‍- श्री बेचन ठाकुर

सत्ता-चरि‍त- श्री अरवि‍न्‍द ठाकुर (सुपौल)
बापक प्राण- श्री भाष्‍करानन्‍द झा भाष्‍कर (कोलकाता)  
संबोधन- श्री चन्‍दन कुमार झा (कोलकाता)
ठीका- श्री आमोद कुमार झा
चौठि‍या- श्री अच्‍छेलाल शास्‍त्री (सोनवर्षा)

तखन, जखन- श्री गजेन्‍द्र ठाकुर (दि‍ल्‍ली)
चैन-बेचैन- श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल (बेरमा)
कथाक पाठ होइत रहल आ संक्षि‍प्‍त टि‍प्‍पणी चलैत रहल।

कथा गोष्‍ठीक वि‍शेषता ई रहल जे सम्‍पूर्ण कार्यक्रमक वि‍श्व भरि‍मे लाइव प्रसारण कएल गेल। जे सगर राति‍ दीप जरए केर पन्नामे ऐति‍हासि‍क कार्य भेल। अगि‍ला गोष्‍ठी हेतु दू गोट प्रस्‍ताव आएल। पहि‍ल श्री गजेन्‍द्र ठाकुर मेंहथ आ पंकज सत्‍यमक मुजफ्फरपुर लेल। कथा गोष्‍ठी जाएत केतए ऐपर अरवि‍न्‍द्र ठाकुरक टि‍प्‍पणी भेल- ‘अध्‍यक्ष महोदय जेतक लेल वि‍चार दथि‍।’ मुदा अध्‍यक्ष महोदय बात कटैत कहलनि‍- ‘अध्‍यक्षे टाक वि‍चार नै अपि‍तु समस्‍त कथाकार वि‍चारसँ कथा गोष्‍ठी केतए जा से निर्णए हुअए।’ अंतमे सर्वसम्‍मति‍सँ अगि‍ला कथा गोष्‍ठी मेंहथमे होबाक निर्णए भेल। जे श्री गजेनद्र ठाकुर 31 मई 2014केँ होएत। जे बाल साहि‍त्‍यपर केन्‍द्रि‍त रहत। ऐ लेल श्री ठाकुरजी समस्‍त कथाकार लोकनि‍केँ सबजाना हकार देब सेहो नै बि‍सरला। कहिए देलखि‍न- ‘सभ कि‍यो सादर आमंत्रि‍त छी मेंहथ कथा गोष्‍ठीमे।’ अहूँ सभ धि‍यान राखब। ई भेल हमर हकार।

           

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