Sunday, September 23, 2012

भारतीय भाषा परिषद् मे मिथिला विकास परिषद् द्वारा आयोजित मिथिला महोत्सव (रिपोर्ट रूपेश कुमार झा त्योँथ)


कलकत्ता मे आइ रवि ओ कवि केर सुन्दर संयोग अछि. भारतीय भाषा परिषद् मे मिथिला विकास परिषद् द्वारा आयोजित मिथिला महोत्सवक तेसर दिनक कार्यक्रम अछि, जाहि मे साहित्यिक गोष्ठी ओ कवि गोष्ठीक संगहि सांगीतिक प्रस्तुति सेहो होयत. पनरह गोट कवि गोष्ठी लेल आमंत्रित अछि. जाहि मे हम सेहो छी. ५-६ साल पहिने मिविप केर एक नुक्कड़ सभा जे मिथिला राज्य आन्दोलन कें ल' भेल छल, ओहि मे प्रथम बेर अपन काव्य पाठ केने छलहुं. ओहि दिन सभा नुक्कड़ पर छल आइ प्रेक्षागृह मे अछि. स्थान अलग, समय अलग मुदा संस्था वैह, शहर वैह आ हम वैह (?).
हम भनहि कवि मे नामित छी, मुदा सुनबा लेल जा रहल छी — वीरेन्द्र मल्लिक, लक्ष्मण झा 'सागर', बिनय भूषण केर संगहि नामचीन हस्ताक्षर लोकनि कें. आइ दिनकरक धरती हुनका स्मरण क' रहल छनि, हुनक समांग हुनका स्मरण क' रहल छनि. मिथिला एहन महान पुत्र पाबि धन्य अछि.


मिथिला महोत्सवक तेसर दिनक कार्यक्रम रविदिन २३ सितम्बर २०१२ कें भारतीय भाषा परिषद् मे आयोजित अछि. कार्यक्रमक संयोजक अंजय चौधरी केर अनुसार पूर्ण तैयारी क' लेल गेल अछि. मिथिला विकास परिषद् द्वारा आयोजित मिथिला महोत्सवक तेसर दिन साहित्य कें समर्पित अछि. 
चारि सत्र मे विभाजित कार्यक्रम मे उद्घाटन-अभिभाषण सहित 'आधुनिक मैथिली कविताक दिशा आ दृष्टि' विषय पर संगोष्टी, काव्य गोष्ठी ओ भाव नृत्य कयल जायत.  बेरू पहर ४.३० बजे सं शुरू होमय वला एहि कार्यक्रम मे मैथिली लेखन क्षेत्र केर अनेको व्यक्तित्व केर सहभागिता रहत.

मिथिला विकास परिषद् केर केंद्रीय कार्यालय मे रविदिन (१६ सितम्बर, २०१२) केर सांझ मे कार्यकर्ता लोकनि द्वारा विस्तृत विमर्श कयल गेल. मिथिला महोत्सव केर तेसर दिनक कार्यक्रम आगामी रविदिन २३ सितम्बर, २०१२ कें भारतीय भाषा परिषद् मे साहित्यिक अनुष्ठानक रूप मे होयत. कार्यक्रमक संयोजक अंजय चौधरी जनतब देलनि जे एही कार्यक्रम मे मैथिलीक साहित्यिक क्षेत्रक नामचीन नव-पुरान साहित्यकारक जमघट रहत. पहिने त' मैथिली मे युवा लेखन पर परिचर्चा होयत. तकर बाद कवि गोष्ठी होयत. तत्पश्चात सांगीतिक कार्यक्रमक संग एहि अनुष्ठानक समापन होयत. परिषदक राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक झा कहलनि जे कार्यक्रमक पूर्ण तैयारी भ' चुकल अछि आ ई मैथिली कें समर्पित कार्यक्रम अछि


एखनो जीबैत अछि कलकत्ता रंगमंच : अशोक झा
कलकत्ता. मैथिली रंगमंच आ कलकत्ता केर सम्बन्ध रौद-छांह केर अछि. एहना मे केओ कलकतिया रंगमंच आ रंगकर्म कें कम क' नहि आंकय. ई बात मिथिला विकास परिषदक राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक झा परिषदक बैसार मे कहलनि. ओ जनओलनि जे किछु लोक कलकत्ता रंगमंच केर विषय मे अनाप बजै अछि. हुनका सभ कें नहि बिसरबाक चाही जे कलकत्ता एक सं एक रंगकर्मी, नाटककार ओ निर्देशक देलक अछि. मिथिला विकास परिषद् केर संगहि एतय कोकिल मंच सेहो समय-समय पर नाट्य मंचन करैत अछि. मिथिला विकास परिषद् द्वारा १९८३ सं धारावाहिक रूपें लगभग अढाइ दर्जन नाटकक मंचन भेल अछि. हम सभ एखनो नाटक करब  त्यागने नहि छी. आगामी कार्यक्रम घोषणा हम शीघ्र करब.
ओ भारतीय भाषा परिषद् मे आयोजित मिथिला महोत्सव केर तेसर दिनक कार्यक्रम केर अंतिम तैयारीक समीक्षा लेल कार्यकर्ता केर बैसार मे बाजि रहल छलाह. हुनक वक्तव्य सं कलकत्ता केर नाट्य दर्शक केर आस एक बेर फेर जागल अछि.

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