Thursday, September 20, 2012

शि‍ल्‍पी कुमारी, (शि‍ल्‍पी कुमारीकेँ वि‍देह अभि‍नय सम्‍मान- २०१२ देल गेल। बेचन ठाकुर हुनकासँ साक्षात्कार लेलनि।)


शि‍ल्‍पी कुमारी, (शि‍ल्‍पी कुमारीकेँ वि‍देह अभि‍नय सम्‍मान- २०१२ देल गेल। बेचन ठाकुर हुनकासँ साक्षात्कार लेलनि।)

बे.ठाकुर-   अहाँकेँ कार्यक प्रति रुचि केना कहियासँ जगल?
शि‍ल्‍पी-     हमरा ऐ कार्यक प्रति‍ रूचि‍ ओइ दि‍नसँ भेल जइ दि‍न हम बेचन सरक नाटक देखलौं, तँ हमरो मनमे भेल जे हमहूँ सर लग पढ़ि‍तौं आ नाटकमे भाग लेतौं आ बढ़ि‍यासँ नाटकमे भूमि‍का नि‍भैतौं।
वर्ष 2008 ई.मे बेचन सरक कोचि‍ंगमे प्रवेश केलौं। सति‍ सावि‍त्री नाटकमे यमराजक भूमि‍का अदा कएल आ हमर भूमि‍का बेसी बढ़ि‍या रहल। ओही दि‍नसँ हमरा ऐ कार्यक प्रति‍ रूचि‍ जागल आढ़ल।
  
बे.ठाकुर-   ऐ कार्य करबामे अहाँकेँ के प्रोत्साहित करैत अछि?
शि‍ल्‍पी-          ऐ कार्य करबामे हमरा बेचन सर बेसी प्रोत्‍साहि‍त केलनि‍ आ करैत छथि‍।
बे.ठाकुर-   अहाँकेँ कार्य करबामे की प्रोत्साहित करैत अछि?
शि‍ल्‍पी-          हमरा ऐ कार्य करबामे मोन प्रोत्‍साहि‍त करैत अछि‍।
बे.ठाकुर-   पहिल बेर कोन कृति/ काजसँ अहाँ आरम्भ केलौं कहियासँ?
शि‍ल्‍पी-          पहि‍ल बेर हम सत्‍यवान सावि‍त्री नाटक केलौं। ई नाटक 2008 ई.मे चनौरागंजमे भेल।

वेदह-     अहाँ अपन काजमे .“सोच”, .“कोनो पुरान वा नव लीखवा शिल्पऐ तीनूमे सँ केकरा प्रधानता दै छी?
शि‍ल्‍पी-     हम कार्यमे शि‍ल्‍पक प्रधानता दइ छी।
बे.ठाकुर-   अहाँ अपन काजक दिशाकेँ, रूपकेँ एक पाँतिमे कोन रूपमे वर्णन करब।
शि‍ल्‍पी-          हम जे कि‍छु केलौं बेचन सर जीक कृपासँ केलाैं।
बे.ठाकुर-   अहाँक काजक समाजमे कोन स्थान छै? की ऐसँ समाजमे परिवर्तन एतै?
शि‍ल्‍पी-     हमर ऐ काजक समाजमे बड़ पैघ स्‍थान अछि‍। हमर नाटक देखि‍ कऽ समाजक बुजुर्ग लोक आनंदि‍त भऽ हमरा लोकनि‍केँ प्रोत्‍साहि‍त करैत छथि‍। ऐसँ समाजमे परि‍वर्तन अवश्‍य होएत। ऐ काजक समाजमे बड़ पैघ स्‍थान छै। जेकरा देखलासँ दोसरो बच्‍चा सभकेँ मनमे ऐ काजक प्रति भावना जागत। ऐसँ हमरा जीवनमे आगू बढ़बाक साहस होएत। नाटक करैत-करैत हम एक दि‍न बड़ पैघ नायि‍का बनि‍ सकैत छी।
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बे.ठाकुर-   अहाँ जइ विधामे लागल छी ओकर की व्यक्तिगत विशेषता छै, क्षेत्रमे कार्यरत दोसर लोकक काजसँ कोन अर्थे भिन्न छै?
शि‍ल्‍पी-     हम जइ वि‍धामे लागल छी ओकर व्‍यक्‍ति‍गत वि‍शेषता अछि‍। ऐ क्षेत्रमे ई काज दोसर लोकक काजसँ ऐ तरहेँ भि‍न्न अछि‍, जे नाटक एक कला अछि‍। जे नाटक कला सबहक समक्ष प्रदर्शित कएल जाइत अछि‍। जखन कि‍ सभ काज सबहक समक्ष नै कएल जाइत अछि‍।

बे.ठाकुर-   अहाँक विधाक क्षेत्रमे आन के सभ छथि कोन तरहक विशिष्ट काज कऽ रहल छथि?
शि‍ल्‍पी-     हमर ऐ वि‍धाक क्षेत्रमे बेचन सर आ हुनक वि‍द्यार्थी सभ छथि‍। हमर गुरुजीकेँ (श्री बेचन ठाकुर) मुख कार्य पढ़ेनाइ छन्‍हि‍। एकर अलाबा, नाटक, कवि‍ता, गीत आदि‍ लि‍खैत छथि‍। हमर गुरुजी लगभग सभ कलामे नि‍पुन छथि‍। ओ संगीतकार, नाटककार, चि‍त्रकार आदि‍ सभ छथि‍। अपन बच्‍चा  सभसँ अपना कलाकेँ प्रदर्शित कराबैत छथि‍ आ समाजमे अपन प्रति‍ष्‍ठा पबैत छथि‍।
बे.ठाकुर-   की अहाँक काज अहाँक जीवन-यापनक काजमे, घरेलू काजमे बाधा होइए वा सहायता पहुँचाबैए?
शि‍ल्‍पी-     हमर ई काज जीवन-यापनक क्षेत्रमे बाधा नै सहायता पहुँचाबैत अछि‍। घरेलू काज करबाक लेल माँ आ बहि‍न छथि‍। घरेलू काजक चि‍ंता हमरा नै रहैत अछि‍। हमरा ऐ काजमे कि‍यो बाधा नै पहुँचबैत अछि‍।
वि‍ेदेह-           अहाँ अपन आन रुचिक विषयमे बताउ।
शि‍ल्‍पी-          हमरा सभसँ बेसी पढ़बामे रूचि‍ अछि‍। जे पढ़ि‍-लि‍खि‍ कऽ पैघ बनी।

बे.ठाकुर-   कोनो संदेश जे अहाँ देबए चाही।
शि‍ल्‍पी-     एकटा संदेश जे हम अहाँकेँ देबए चाहै छी, नाटकमे तँ रूचि‍ हमरा अछि‍ये मुदा पढ़बामे सेहो अछि‍। हम अहाँकेँ यएह संदेश दइ छी जे हम एक गरीब वि‍द्यार्थी छी। अहीं सबहक कृपासँ हम आगू बढ़बैत रहब हमरा आगू बढ़ेबामे अहाँ सभ मदति‍ करू।


परि‍चए- सुश्री शि‍ल्‍पी कुमारी, पि‍ताक नाओं श्री लक्ष्‍मण झा, पता- गाम-चनौरागोठ, पत्रालय- चनौरागंज, भाया- झंझारपुर, जि‍ला- मधुबनी, (बि‍हार)। १७ वर्षीय शि‍ल्‍पी दसम वर्गक छात्रा छथि‍। पंचायत, प्रखण्‍ड आ अनुमण्‍डल स्‍तरपर अपन प्रति‍भासँ कतेको बेर पुरस्‍कृत भऽ चुकल छथि‍। जे.एम.एस. कोचि‍ंग सेन्‍टर, चनौरागंजमे सभ क्षेत्रमे हि‍नक नीक प्रदर्शन रहलनि‍ अछि, खास कऽ अभि‍नय कलाक मादे दर्शक लोकनि‍क बीच बड्ड सराहल गेलीह। वि‍देह अभि‍नय सम्‍मान- २०१२ सँ सम्मानि‍त करैत वि‍देह परि‍वार हर्षित अछि‍। 


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