Tuesday, December 6, 2011

विदेह गोष्ठी:मैथिलीमे महिला आ नारीवादी (फेमिनिस्ट) लेखन-(वैश्विक सन्दर्भमे) एकटा परिचर्चा

विदेह गोष्ठी:  (०३आ ०४ सितम्बर २०११ आ  १०आ  ११  सितम्बर  २०११ केँ  मैथिलीमे महिला आ नारीवादी (फेमिनिस्ट) लेखन-(वैश्विक सन्दर्भमे) एकटा परिचर्चा पर अन्तिम परिचर्चा आ तकर सन्दर्भमे  प्रैक्टिकल  लैबोरेटरीक प्रदर्शन निर्मली, जिला सुपौलमे भेल। ओतए ढेर रास महिला आ नारीवादी (फेमिनिस्ट) लेखक् , साहित्यप्रेमी उपस्थित रहथि। तकर बाद किछु आलेख आ रचना डाक आ ई मेलसँ सेहो आएल। तकर संक्षिप्त विवरण नीचाँ देल जा रहल अछि।)


प्रेमशंकर सिंह
महिला साहित्यकारक प्रादुर्भाव :
स्वातन्त्र्योत्तर साहित्यान्तर्गत जनजागरणक जे मन्त्र फूकल गेल तकर महिला साहित्यकारपर अत्यन्त तीव्र प्रभाव पड़ल। विगत शताब्दीमे पुरुष लेखकक समानहि महिला लेखक प्रचुर परिमाणमे साहित्यक प्रत्येक विधामे अपन उपस्थिति दर्ज करौलनि जकरा नहि अस्वीकारल जा सकैछ। शताब्दीक सन्धि-बेलामे महिला साहित्यकारक कृतित्वक अवगाहनोपरान्त स्पष्ट प्रतिभाषित होइत अछि, जे हुनकामे साहित्य-साधनाक अपरिमित सम्भावना छनि। हुनका सभक रचनाक क्षमता एवं गुणवत्ता दुनू दृष्टिएँ उल्लेखनीय अछि। साहित्यक क्षेत्रमे मिथिलांचलक नारी समाजक जागरण विगत शताब्दीक अर्द्धशतकक पश्चात् भेल जे सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपलब्धि थिक। महिलामे साहित्यिक अभिरुचि जगयबाक श्रेय छैक मैथिली पत्रिकादिकेँ जकर कतिपय उदाहरण अछि। साहित्यक कोनो एहन विधा बाकी नहि अछि जाहिमे ई लोकनि अपन हस्ताक्षर नहि कयलनि। हमरा दृष्टिएँ हुनका सभमे साहित्य-साधनाक अपरिमित सम्भावना युगसन्धिक उत्कर्षमे स्पष्ट परिलक्षित भ’ रहल अछि।


गजेन्द्र ठाकुर
नारीवादी (फेमिनिस्ट) लेखन
इलाइन शोआल्टर महिला लेखनक मानसिक, जैविक आ भाषायी विशेषताकेँ चिन्हित करै छथि। सिमोन डी. बेवोइर नारीक नारीक प्रति प्रतिबद्धतामे वर्ग आ जातिकेँ (जकर बादक नारीवादी सिद्धांत विरोध केलक) बाधक मानै छथि। वर्जीनिया वुल्फ नारी लेखक लेल आर्थिक स्वतंत्रता आ निजताकेँ आवश्यक मानै छथि। हिनकर विचारकेँ क्रान्तिकारी नै मानल गेल। मेरी वोल्स्टोनक्राफ्ट नारी शिक्षामे क्रान्ति आ औचित्यक शिक्षाकेँ सम्मिलित करबापर जोर देलनि।

भूमंडलीकरणक कारणसँ मुख्यधारसँ अलग भेल कतेक समुदायक आ नारीक प्रश्नकेँ उत्तर आधुनिकता सोझाँ अनलक मुदा मूलतः उत्तर आधुनिकता नारीवादक आ मार्क्सवादक विरोधमे अछि आ एकर नारीवाद आ मार्क्सवाद विरोध केलक अछि।

नारीवादी दृष्टिकोण उत्तर आधुनिकतावादक यथास्थिवादक विरोध केलक अछि कारण यावत से खतम नै होएत ताधरि नारीक स्थितिमे सुधार नै आओत।

शारीरिक श्रमक बदलामे मानसिक श्रमक एतए बेशी उपयोग होइत अछि, से ई आशा रहए जे स्त्री-असमानता सूचना-समाजमे घटत मुदा सर्वेक्षण देखबैत अछि जे महिलाक पइठ सूचना प्रौद्योगिकीमे कम छन्हि।

महिला आ बाल-विकास- महिलाकेँ अधिकार, शिक्षा-प्रणालीकेँ सक्रिय करब, पाठ्यक्रममे महिला अध्ययन, महिलाक व्यावसायिक आ तकनीकी शिक्षामे प्रतिशत बढ़ाओल जाए।स्त्री-स्वातंत्र्यवाद, महिला आन्दोलन।धर्मनिरपेक्ष- राजनैतिक संस्था संपूर्ण समुदायक आर्थिक आ सामाजिक हितपर आधारित- धर्म-नस्ल-पंथ भेद रहित। विकास आर्थिकसँ पहिने जे शैक्षिक हुअए तँ जनसामान्य ओहि विकासमे साझी भऽ सकैए। एहिसँ सर्जन क्षमता बढ़ैत अछि आ लोकमे उत्तरदायित्वक बोध होइत अछि। 
(साभार विदेह www.videha.co.in )

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