Tuesday, December 6, 2011

विदेह गोष्ठी: मैथिली हाइकू, शेर्न्यू, टनका, हैगा, हैबूनपर परिचर्चा

  विदेह गोष्ठी: (१२ आ १३ नवम्बर २०११ आ  १९ आ २० नवम्बर   २०११ केँ हाइकू, शेर्न्यू, टनका, हैगा, हैबूनपर परिचर्चा आ तकर सन्दर्भमे हाइकू गोष्ठी निर्मली, जिला सुपौलमे भेल। ओतए ढेर रास कवि, साहित्यप्रेमी उपस्थित रहथि। तकर बाद किछु आलेख आ रचना डाक आ ई मेलसँ सेहो आएल। तकर संक्षिप्त विवरण नीचाँ देल जा रहल अछि।)

गजेन्द्र ठाकुर
मैथिली हैकू

हैकू सौंदर्य आ भावक जापानी काव्य विधा अछि, आ जापानमे एकरा काव्य-विधाक रूप देलन्हि कवि मात्सुओ बासो १६४४-१६९४। एकर रचनाक लेल परम अनुभूति आवश्यक अछि। बाशो कहने छथि, जे जे क्यो जीवनमे ३ सँ ५ टा हैकूक रचना कएलन्हि से छथि हैकू कवि आ जे दस टा हैकूक रचना कएने छथि से छथि महाकवि। भारतमे पहिल बेर १९१९ ई. मे कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर जापानसँ घुरलाक बाद बाशोक दू टा हैकूक शाब्दिक अनुवाद कएले रहथि।



पुरनोपुकुर
व्यंगेरलाफ
जलेर शब्द



पचाएडालि
एकटा के

शरत्काल।


हैकूक लेल मैथिली भाषा आ भारतीय संस्कृत आश्रित लिपि व्यवस्था सर्वाधिक उपयुक्त्त अछि। तमिल छोड़ि शेष सभटा दक्षिण आ समस्त उत्तर-पश्चिमी आ पूर्वी भारतीय लिपि आ देवनागरी लिपि मे वैह स्वर आ कचटतप व्यञ्जन विधान अछि जाहिमे जे लिखल जाइत अछि सैह बाजल जाइत अछि। मुदा देवनागरीमे ह्रस्व 'इ' एकर अपवाद अछि, ई लिखल जाइत अछि पहिने, मुदा बाजल जाइत अछि बादमे। मुदा मैथिलीमे ई अपवाद सेहो नहि अछि- यथा 'अछि' ई बाजल जाइत अछि अ ह्र्स्व 'इ' छ वा अ इ छ। दोसर उदाहरण लिअ- राति- रा इ त। तँ सिद्ध भेल जे हैकूक लेल मैथिली सर्वोत्तम भाषा अछि। एकटा आर उदाहरण लिअ। सन्धि संस्कृतक विशेषता अछि? मुदा की इंग्लिशमे संधि नहि अछि? तँ ई की अछि- आइम गोइङ टूवार्ड्सदएन्ड। एकरा लिखल जाइत अछि- आइ एम गोइङ टूवार्ड्स द एन्ड। मुदा पाणिनि ध्वनि विज्ञानक आधार पर संधिक निअम बनओलन्हि, मुदा इंग्लिशमे लिखबा कालमे तँ संधिक पालन नहि होइत छैक , आइ एम केँ ओना आइम फोनेटिकली लिखल जाइत अछि, मुदा बजबा काल एकर प्रयोग होइत अछि। मैथिलीमे सेहो यथासंभव विभक्त्ति शब्दसँ सटा कए लिखल आऽ बाजल जाइत अछि।

जापानमे ईश्वरक आह्वान टनका/ वाका प्रार्थना ५ ७ ५ ७ ७ स्वरूपमे होइत छल जे बादमे ५ ७ ५ आऽ ७ ७ दू लेखक द्वारा लिखल जाए लागल आ नव स्वरूप प्राप्त कएलक आ एकरा रेन्गा कहल गेल। रेन्गाक दरबारी स्वरूप गांभीर्य ओढ़ने छल आ बिन गांभीर्य बला स्वरूप वणिकवर्गक लेल छल। बाशो वणिक वर्ग बला रेन्गा रचलन्हि। रेन्गाक आरम्भ होक्कुसँ होइत छल आ हैकाइ एकर कोनो आन पंक्त्तिकेँ कहल जा सकैत छल। मसाओका सिकी रेन्गाक अन्तक घोषणा कएलन्हि १९म शताब्दीक प्रारम्भमे जा कए आ होक्कु आ हैकाइ केर बदलामे हैकू पद्यक समन्वित रूप देलन्हि। मुदा बाशो प्रथमतः एकर स्वतंत्र स्वरूपक निर्धारण कए गेल छलाह।

हैकू निअम १.
हैकू १७ अक्षरमे लिखू, आ ई तीन पंक्त्तिमे लिखल जाइत अछि- ५ ७ आ ५ केर क्रममे। अक्षर गणना वार्णिक छन्दमे जेना कएल जाइत अछि तहिना करू।
'विदेह' http://www.videha.co.in/ अंक २ रचना लेखन स्तंभमे वार्णिक छन्दक वर्णन क्रममे हम लिखने रही जे संयुक्त्ताक्षरकेँ एक गानू आ हलन्तक/ बिकारीक/ इकार आकार आदिक गणना नहि करू। तकरा एतय
पुनः प्रस्तुत कए रहल छी।
साहित्यक दू विधा अछि गद्य आ पद्य।छन्दोबद्ध रचना पद्य कहबैत अछि-अन्यथा ओ गद्य थीक। छन्द माने भेल-एहन रचना जे आनन्द प्रदान करए।
छन्द दू प्रकारक अछि।मात्रिक आ वार्णिक। वेदमे वार्णिक छन्द अछि।
वार्णिक छन्दक परिचय लिअ। एहिमे अक्षर गणना मात्र होइत अछि। हलंतयुक्त अक्षरकेँ नहि गानल जाइत अछि। एकार उकार इत्यादि युक्त अक्षरकेँ ओहिना एक गानल जाइत अछि जेना संयुक्ताक्षरकेँ। संगहि अ सँ ह केँ सेहो एक गानल जाइत अछि।द्विमानक कोनो अक्षर नहि होइछ।मुख्य तीनटा बिन्दु यादि राखू-

1.हलंतयुक्त्त अक्षर-0
2.संयुक्त अक्षर-1
3.अक्षर अ सँ ह -1 प्रत्येक।

आब पहिल उदाहरण देखू
ई अरदराक मेघ नहि मानत रहत बरसि के=1+5+2+2+3+3+1=17 मात्रा

आब दोसर उदाहरण देखू
पश्चात्=2 मात्रा

आब तेसर उदाहरण देखू
आब=2 मात्रा

आब चारिम उदाहरण देखू
स्क्रिप्ट=2 मात्रा

मुख्य वैदिक छन्द सात अछि-गायत्री,उष्णिक् ,अनुष्टुप् ,बृहती,पङ् क्त्ति,त्रिष्टुप् आ जगती। शेष ओकर भेद अछि अतिछन्द आ विच्छन्द। छन्दकेँ अक्षरसँ चिन्हल जाइत अछि। यदि अक्षर पूरा नहि भेलतँ एक आकि दू अक्षर प्रत्येक पादमे बढ़ा लेल जाइत अछि।य आ
व केर संयुक्ताक्षरकेँ क्रमशः इ आ उ लगा कय अलग केल जाइत अछि।जेना-
वरेण्यम्=वरेणियम्
स्वः= सुवः
गुण आ वृद्धिकेँ अलग कयकेँ सेहो अक्षर पूर कय सकैत छी।
ए= अ + इ
ओ= अ + उ
ऐ= अ/आ + ए
औ= अ/आ + ओ


हैकू निअम २.

व्यंग्य हैकू पद्यक विषय नहि अछि, एकर विषय अछि ऋतु। जापानमे व्यंग्य आ मानव दुर्बलताक लेल प्रयुक्त विधाकेँ "सेर्न्यू" कहल जाइत अछि आ एहिमे किरेजी वा किगो केर व्याकरण विराम नहि होइत अछि।

हैकू निअम ३.

प्रथम ५ वा दोसर ७ ध्वनिक बाद हैकू पद्यमे जापानमे किरेजी- व्याकरण विराम- देल जाइत अछि।


हैकू निअम ४.


जापानीमे लिंगक वचन भिन्नता नहि छैक। से मैथिलीमे सेहो वचनक समानता राखी सैह उचित होएत।


हैकू निअम ५.


जापानीमे एकहि पंक्त्तिमे ५ ७ ५ ध्वनि देल जाइत अछि। मुदा मैथिलीमे तीन ध्वनिखण्डक लेल ५ ७ ५ केर तीन पंक्त्तिक प्रयोग करू। मुदा पद्य पाठमे किरेजी विरामक ,जकरा लेल अर्द्धविरामक चेन्ह प्रयोग करू, अतिरिक्त्त एकहि श्वासमे पाठ उचित होएत।


हैकू निअम ६.

हैबुन एकटा यात्रा वृत्तांत अछि जाहिमे संक्षिप्त वर्णनात्मक गद्य आऽ हैकू पद्य रहैत अछि। बाशो जापानक बौद्ध भिक्षु आऽ हैकू कवि छलाह आऽ वैह हैबुनक प्रणेता छथि। जापानक यात्राक वर्णन ओऽ हैबुन द्वारा कएने छथि। पाँचटा अनुच्छेद आऽ एतबहि हैकू केर ऊपरका सीमा राखी तखने हैबुनक आत्मा रक्षित रहि सकैत अछि, नीचाँक सीमा ,१ अनुच्छेद १ हैकू केर, तँ रहबे करत। हैकू गद्य अनुच्छेदक अन्तमे ओकर चरमक रूपमे रहैत अछि।


गजेन्द्र ठाकुर
पहिल परिचर्चाक बाद मैथिली हाइकूक विस्तार
जापानमे ईश्वरक आह्वान टनका/ वाका प्रार्थना ५ ७ ५ ७ ७ स्वरूपमे होइत छल। "सेनर्यू"मे किरेजी नै होइ छै आ एकरामे प्रकृति, चान सँ आगाँ हास्य-व्यंग्य होइ छै। मुदा एकर फॉर्मेट सेहो हाइकू सन 5/7/5 सिलेबलक होइ छै। जापानी सिलेबल आ भारतीय वार्णिक छन्द मेल खाइ छै से 5/7/5 सिलेबल भेल 5/7/5 वर्ण / अक्षर। संस्कृतमे 17 सिलेबलक वार्णिक छन्द जइमे 17 वर्ण होइ छै, अछि- शिखरिणी, वंशपत्रपतितम, मन्दाक्रांता, हरिणी, हारिणी, नरदत्तकम्, कोकिलकम् आ भाराक्रांता। तैँ 17 सिलेबल लेल 17 वर्ण/ अक्षर लेलहुँ अछि, जे जापानी सिलेबल (ओंजी)क लग अछि। किरेजी माने ओहन शब्द जतएसँ दोसर विचार शुरू होइत अछि, किगो भेल ऋतुसँ सम्बन्धी शब्द। किरेजी जापानीमे पाँतीक मध्य वा अंतमे अबै छइ आ तेसर पाँतीक अंतमे सेहो जखन ई पाठककेँ प्रारम्भमे लऽ अनै छै। हाइकू जेना दू प्रकृतिक चित्रकेँ जोड़ैत अछि एकरा संग चित्र-अलंकरण विधा "हैगा" सेहो जुड़ल अछि। जापानमे ईश्वरक आह्वान टनका/ वाका प्रार्थना ५ ७ ५ ७ ७ स्वरूपमे होइत छल जे बादमे ५ ७ ५ आ ७ ७ दू लेखक द्वारा लिखल जाए लागल आ नव स्वरूप प्राप्त कएलक आ एकरा रेन्गा कहल गेल। बादमे यएह कएक लेखकक सम्मिलित सहयोगी विधा “रेन्कु”क रूपमे स्थापित भेल।हैबुन एकटा यात्रा वृत्तांत अछि जाहिमे संक्षिप्त वर्णनात्मक गद्य आऽ हैकू पद्य रहैत अछि। बाशो जापानक बौद्ध भिक्षु आऽ हैकू कवि छलाह आऽ वैह हैबुनक प्रणेता छथि। जापानक यात्राक वर्णन ओऽ हैबुन द्वारा कएने छथि। पाँचटा अनुच्छेद आऽ एतबहि हैकू केर ऊपरका सीमा राखी तखने हैबुनक आत्मा रक्षित रहि सकैत अछि, नीचाँक सीमा ,१ अनुच्छेद १ हैकू केर, तँ रहबे करत। हैकू गद्य अनुच्छेदक अन्तमे ओकर चरमक रूपमे रहैत अछि।
टिप्पणी: "सेनर्यू"मे किरेजी नै होइ छै आ एकरामे प्रकृति, चान सँ आगाँ हास्य-व्यंग्य होइ छै। मुदा एकर फॉर्मेट सेहो हाइकू सन 5/7/5 सिलेबलक होइ छै। जापानी सिलेबल आ भारतीय वार्णिक छन्द मेल खाइ छै से 5/7/5 सिलेबल भेल 5/7/5 वर्ण / अक्षर। संस्कृतमे 17 सिलेबलक वार्णिक छन्द जइमे 17 वर्ण होइ छै, अछि- शिखरिणी, वंशपत्रपतितम, मन्दाक्रांता, हरिणी, हारिणी, नरदत्तकम्, कोकिलकम् आ भाराक्रांता। तैँ 17 सिलेबल लेल 17 वर्ण/ अक्षर लेलहुँ अछि, जे जापानी सिलेबल (ओंजी)क लग अछि। किरेजी माने ओहन शब्द जतएसँ दोसर विचार शुरू होइत अछि, किगो भेल ऋतुसँ सम्बन्धी शब्द। किरेजी जापानीमे पाँतीक मध्य वा अंतमे अबै छइ आ तेसर पाँतीक अंतमे सेहो जखन ई पाठककेँ प्रारम्भमे लऽ अनै छै। हाइकू जेना दू प्रकृतिक चित्रकेँ जोड़ैत अछि एकरा संग चित्र-अलंकरण विधा "हैगा" सेहो जुड़ल अछि।जापानमे ईश्वरक आह्वान टनका/ वाका प्रार्थना ५ ७ ५ ७ ७ स्वरूपमे होइत छल जे बादमे ५ ७ ५ आ ७ ७ दू लेखक द्वारा लिखल जाए लागल आ नव स्वरूप प्राप्त कएलक आ एकरा रेन्गा कहल गेल। बादमे यएह कएक लेखकक सम्मिलित सहयोगी विधा “रेन्कु”क रूपमे स्थापित भेल।हैबूनमे वर्णनात्मक गद्यक संग हाइकू(5/7/5) वा टनका/वाका (5/7/5/7/7)मिश्रित रहै छै।
(साभार विदेह www.videha.co.in )

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