Saturday, September 17, 2011

"तिरहुता लिपि कें मैथिली भाषा पर प्रभाव"- कौशल कुमार

१० सितम्बर २०११ के नयी दिल्ली , गाँधी शांति प्रतिष्ठान मे मैथिली फोंदेशन के तत्वाधान मे आयोजित परिचर्चा "तिरहुता लिपि कें मैथिली भाषा पर प्रभाव" विषय पर सर्वश्री मोहन भारद्वाज जी कें अध्यक्षता मे भेल. मोहन भारद्वाज मैथिली साहित्य कें एकटा सुपरचित आ प्रतिष्ठित नाम छथि आ आलोचना , समालोचना मे एकटा स्तम्भ छथि. कार्यक्रम मे उपस्थित छलथि श्री गंगेश गुंजन जी, श्री कुमार शैलेन्द्र, श्रीबसंत झा,श्रीआनंद झा,श्रीअनित झा,श्री बजरंग मंडल,श्रीशंकर जी,श्रीश्यामाचरण,श्रीअजित झा आदि कार्यक्रम मे श्रीभारद्वाज जी अप्पन वक्तव्य मे मैथिली भाषा,लिपि आ साहित्य पर बड्ड नीक आ विस्तृत रूपे अप्पन विचार रखलनी आ लिपि भाष वृद्धि मे एकटा बड़का कारक अछि ऐ बात के समर्थन देलनि जे लिपि के विस्तार भाषा के विस्तार अछि. श्रीकुमार शैलेन्द्र अपना वक्तब्य मे कह्लानी जे हम सब सांस्कृतिक कार्यक्रम त' बड्ड कराइ छी मुदा भाषा जे सांस्कृतिक धरोहर के संग्रक्षित करैक लेल एकटा पैघ अस्त्र अछि तै पर काज बहुत आवश्यक अछि तें लिपि के बधेनाई अत्यावश्यक अछि।
चित्र साभार कौशल कुमार

चित्र साभार कौशल कुमार

चित्र साभार कौशल कुमार

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