Sunday, September 4, 2011

राधाकृष्ण चौधरीजीक "मिथिलाक इतिहास" क लोकार्पण १० सितम्बर २०११ केँ हजारीबागमे

राधाकृष्ण चौधरीजीक "मिथिलाक इतिहास" क लोकार्पण १० सितम्बर २०११ केँ हजारीबागमे। कएक साल सरकारी मैथिली साहित्यिक संस्थामे रहल प्रकाशनक विचाराधीन, नहिेये हँ आ नहिये नै कऽ स्थितिमे । फेर विदेह टीम द्वारा ओइ तीससँ बेसी बर्खसँ राखल पाण्डिलिपिक अंकन भेल। राधाकृष्ण चौधरीजीक पुत्र श्री प्रभात चौधरी जी कहै छथि- "एहि पोथीक मूल पाण्डुलिपि टाइप कएल पुरान पातक पृष्ठ भागपर हाथसँ लिखल गेल छल। ताइपर ओ सत्ताइस बरखसँ फाइलमे बंद पड़ल छल। एहि पाण्डुलिपिक उद्धार कए पुस्तकक रूपमे प्रकाशित करएबाक श्रेय श्रीयुत् गजेन्द्र ठाकुरजी केँ छन्हि। "

नै "हँ" आ नहिये "न" बला प्रवृत्ति देखल गेल जखन राधाकृष्ण चौधरीजीक मैथिली पोथी "मिथिलाक इतिहास" मैथिली अकादेमी, पटना द्वारा कएक सालसँ विचाराधीन रहल, लेखकक मृत्युक ३० बर्ख बाद सेहो जातिवादी मानसिकता मैथिलीक छद्म पुरोधा लोकनिकेँ गसिया कऽ धेने छन्हि।

ई ओहू समय देखल गेल छल जखन साहित्य अकादेमीक मैथिली परामर्शदातृ समितिक अध्यक्ष श्री रमानाथ झा आ श्री जयकान्त मिश्र जी लग एकटा दोसर प्रस्ताव“History of Maithili Literature” एक दशकसँ बेशी विचाराधीन रहल, नै "हँ" आ नहिये "न"। राधाकृष्ण चौधरी लिखै छथि- "The survey was initially prepared for a particular occasion under the heading “History of Maithili Literature”, sponsored by the Sahitya Akademi, New Delhi. The man-made destiny willed otherwise and the mechanism, crowned with utter selfishness and sectarianism, did not allow the original scheme to materialise."

अस्तु फेर राधाकृष्ण चौधरीजी अपन पाण्डुलिपि मँगबा लेने रहथिन्ह, आA SURVEY OF MAITHILI LITERATUREनामसँ स्वयं छपबेलन्हि। से ऐ बेर हुनकर पुत्र श्री प्रभात कुमार चौधरी मैथिली अकादमी, पटनासँ "मिथिलाक इतिहास"क पाण्डुलिपि मँगबा लेलन्हि आ फेर ओकर धारावाहिक अंकन आ ई-प्रकाशन विदेह मे भेल आ ई भरि विश्वकमे रहैबला मैथिली भाषीकेँ दलमलित कऽ देलक।सएह पोथी आबश्रुति प्रकाशनसँ आएल अछि।


दिनांक १० सितम्बर २०११ क साँझमे "सगर राति दीप जरए" गृह रक्षा वाहिनी ट्रेनिंग सेन्टर कैम्पसमे (पटना दिससँ हजारीबागमे प्रवेशसँ पहिने नेशनल हाइवेपर विनोबा भावी विश्वविद्यालय गेट छै, विश्वविद्यालय गेटसँ एक मिनट बाद दहिनामे एकटा बड़का मैदान छै, वएह छै होमगार्ड्स ट्रेनिंग सेन्टर। ओही गेटपर सिपाहीसँ पुछारी करू तँ ओ हॉल धरि पहुँचा देत।) श्याम दरिहरे जीक संयोजकत्वमे हएत। ओतहि ऐ पोथीक लोकार्पण हएत। अहाँ सभ सादर आमन्त्रित छी। ऐ पोथीकेँ मिथिलाक इतिहासक ब्राह्मणवादी विश्लेषण आ गएर वैज्ञानिक विश्लेषणपर अन्तिम मारक प्रहारक रूपमे देखल जा रहल अछि।

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