Friday, August 19, 2011

नवेन्दु कुमार झा बिहारक शोक देखौलक अपन रूप

नवेन्दु कुमार झा
बिहारक शोक देखौलक अपन रूप
बिहारक शोक कहल जाएबला कोसी नदी भारत-नेपाल मध्य विभाजन आऽ गंगाक मुख्य सहायक नदी अछि। अपन धारा परिवर्तनक लेल विख्यात एहि वर्ष जाहि तरहेँ अपन तांडव देखौलक अछि अवश्ये चिन्ताक विषय थिक। पछिला कतेको दिनमे बाढ़िक जे तबाही प्रदेशक सीमांचल विशेष रूपसँ सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, अररिया आऽ पूर्णिया जिलामे मचल अछि एकर डरसँ एहि जिलाक संगहि लग पासक गोटेक तीस लाखक आबादी अपन घर, द्वार आऽ सम्पत्तिक चिन्ता छोड़ि सुरक्षित ठेकानक तलाशमे भटकि रहल अछि। ८ अगस्तकेँ कोसी नदीक तटबंध कुशहा लग नेपालक वीरपुर बराजक उत्तर गोटेक १२.९० किलोमीटरक दूरीपर जखने टूटल कि भारत आऽ नेपालक पैघ आबादी बर्बाद भऽ गेल। कतेक लोक एहि मानव निर्मित अप्राकृतिक बाढ़िक कालमे घुसि गेलाह एक अनुमान लगबऽ मे कतेक मास बितत से कहब मुश्किल अछि।
हिमालय पर्वतमालासँ गोटेक ७००० मीटर ऊँचाईसँ निकलि कोसी नदी भारतमे उत्तर बिहारक ९२०० किलोमीटर रास्ता तय कऽ अंतमे गंगा नदीमे मिलि कऽ बंगालक खाड़ीमे खसि पड़ैत अछि। बिहारक सभसँ जीवन्त ई नदीकेँ सात नदी इन्द्रावती, तांवा कोसी, दूध कोसी, अरुण कोसी, लिछु कोसी, तामर कोसी आऽ सुन कोसी वा भोट कोसीक प्रवाहक मिलनक हेबाक कारण सप्त कोसी सेहो कहल जाइत अछि। नेपाल आऽ तिब्बतक जल ग्रहण क्षेत्र वाला एहि नदीक ७४०३० वर्ग किलोमीटर जल ग्रहण क्षेत्रमे सँ मात्र ११४१० वर्ग किलोमीटर क्षेत्र भारतमे आऽ शेष ६२६२० वर्ग किलोमीटर क्षेत्र नेपाल अथवा तिब्बतमे पड़ैत अछि। १५० वर्ष पूर्व पूर्णियाक पूरबसँ बहए वाला एहि नदीक निचला हिस्सा एखन दरभंगा जिला दऽ बहैत अछि। अपन धारा बदलबाक लेल बदनाम ई नदी जखन अपन रस्ता बदलैत अछि तँ नचैत अछि तबाही आऽ सभक सोझाँ होइत अछि बर्बादी आऽ एक शिकार निरीह जनता, भऽ जाइत अछि असहाय।
मैदानी क्षेत्रमे उतरलाक बाद कोसी नदीक पाट छओसँ दस किलोमीटर चौड़ा भऽ जाइत अछि आऽ प्रायः नेपालक सीमाक भीतर पचास किलोमीटर दूरी तय कए भीमनगर-चतरा लग भारतीय सीमामे प्रवेश करैत अछि आऽ मानसी-सहरसा रेल लाइनक कुर्सेला स्टेशन लग गंगा नदीमे मिलि जाइत अछि। उत्तर बिहार आऽ पूर्वी मिथिलामे ई विश्वक सभसँ उपजाऊ समतल त्रिकोणक निर्माण करैत अछि तेँ एकरा एहिठामक जीवन रेखा सेहो कहल जाइत अछि। एहि नदीसँ होमएवाला तबाही आऽ बर्बादी बचैबाक लेल प्रयास तँ भेल मुदा ओहि दिस कएल गेल प्रयास कतेक सफल भेल ई तँ कोसीक वर्तमान कहरसँ सहजे बुझल जाऽ सकैत अछि। आजादीक बाद १९५५मे कोसीक पूर्वी किनार वीरपुरसँ कोपड़िया धरि १२५ किलोमीटर लम्बा आऽ पश्चिम किनारपर नेपालमे भारदहसँ भारतमे सहरसासँ घोघेपुर धरि १२६ किलोमीटर लम्बा तटबन्ध बनेबाक जे काज शुरू भेल ओऽ १९६३-६४ मे पूरा भऽ गेल। १९६३ मे कोसीक धार बराजक निर्माण कऽ एहिपर नियन्त्रण स्थापित कऽ लेल गेल।
कुशहामे एहि वर्ष तटबंध टुटबाक घटना कोनो पहिल घटना नहि थिक। कोसी नदीपर बनल ई नहर एहिसँ पूर्व १९६३मे डलबा (नेपाल), १९६८ जमालपुर (दरभंगा), १९७१ भटनिया (सुपौल), १९८० बहुअरबा (सहरसा), १९८४ हेमपुर (सहरसा) आऽ १९९१ जोगिमियामे टुटल छल आऽ तखनो तबाहीक मंजर ओहिना छल जे एखन अछि। कुशहामे तटबंध टुटब एहि बातक संकेत अछि जे एखन धरि सभ सरकार उत्तर बिहार बाढ़ि प्रभावित क्षेत्र आऽ जनताक प्रति उदासीन अछि आऽ सभ दिन एकर अनदेखी कएल गेल अछि। आजादीक ६१ साल धरि मात्र राहत आऽ बचाव काज चला कऽ सभ सरकार अपन दायित्व समाप्त बुझैत अछि आऽ पीड़ित जनता एकरा अपन नियति मानि अपन जिन्दगीक डेग आगाँ बढ़बैत रहल अछि। सम्पूर्ण परिस्थिति सरकारक संव्र्दनहीनताक परिचायक अछि।
कोसी नदीक चलि रहल तांडव सँ एखन धरि १६ टा जिला एकर चपेटमे आबि गेल अछि। तटबंध बचेबाक आऽ नदीक धार मोरबाक कोनो प्रयास एखन धरि युद्ध स्तरपर शुरू नहि भऽ सकल अछि। दिन प्रति दिन नव-नव क्षेत्र कोसीक चपेटमे आबि रहल अछि। १९६३ सँ २००८ धरि कतेको बेर कोसीक तटबन्ध टूटल अछि मुदा एहि बेर पछिला सभ रेकॉर्ड टुटि गेल अछि। पछिला १५ दिनसँ कोसी जेना अपन रौद्र रूप धेने अछि आऽ कटाव कऽ रहल अछि ओहि सँ कोसी बराजपर सेहो खतरा बढ़ि गेल अछि। ज्यों ई हाल रहल तँ एखन २५ लाख लोक प्रभावित छथि आऽ अगिला दू चारि दिन ५० लाख आबादी कोसीमे समाधि लऽ लेत तेँ सरकारकेँ कोसीपर नियन्त्रणक प्रयासमे गति आनब आवश्यक अछि।
बाढ़ि आऽ सरकारी प्रयास
बिहारमे बाढ़ि आएब कोनो नव बात नहि अछि। सभ साल बाढ़ि अबैत अछि आऽ चलि जाइत अछि। वर्ष भरि चलएवाला पावनि-तिहार जकाँ ओकर बादक राहत बाटबाक पावनि चलैत अछि आऽ फेर जिनगी ओहिना पटरीपर चलए लगैत अछि। हवामे उड़ैत हेलिकाप्टर हाहाकारक संग सफेद पोश नेता सभ आकाशसँ पीड़ित मानवकेँ हाथ हिला-हिला कऽ फोटो छपा, मूह दुसि दैत छथि आऽ फेर डपोरशंखी घोषणा कऽ अपन कर्तव्य समाप्त बुझैत छथि। वास्तवमे सरकारी महकमाक लेल ई बाढ़ि एकटा वार्षिक पावनि अछि जकर इंतजार ओऽ करैत रहैत अछि। बाढ़िक टकटकी लगौने सरकारी अफसर आऽ कर्मचारीक लेल ई बाढ़ि सोनाक अंडा देबए वाला मुर्गी अछि। सरकार पहिने बाढ़िसँ बचाव लेल पूर्व तैयारीक नामपर टाका लुटबैत अछि तकर बाद बाढ़िक क्रममे बाढ़ि पीड़ितकेँ राहत आऽ बचाव काजक नामपर आऽ तत्पश्चात् बाढ़िक समाप्त भेलापर बाढ़ि पीड़ितक पुनर्वासक लेल टाका बाढ़िक पानि जकाँ बहैत अछि मुदा एहिमे केओ डुबैत नहि अछि, परञ्च सरकारी अफसर आऽ अभियन्ता सभक धोधि फुलैत अछि।
बाढ़िपर नियन्त्रणक प्रति सरकारक प्रयास तँ पैघ स्तरपर चलि रहल अछि। उत्तर बिहारक बाढिक नियन्त्रणक लेल केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय द्वारा १९९२ मे एकटा समिति (एन.बी.एफ.पी.सी.)क गठन कएल गेल छल। मंत्रालयक सचिव एकर पदेन अध्यक्ष छलाह आऽ रेल मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, गृह मंत्रालय आऽ बिहार सरकारक अधिकारी केर एहिमे सम्मिलित कएल गेल। मुदा १६ वर्षमे समितिक गोटेक एगारह टा बैसक भेल आऽ छोट पैघ एक सय (१००) योजना बनाओल गेल, जाहिमे सँ मात्र अनठाबन टा योजनापर काज शुरू भऽ सकल। केन्द्र सरकार २००५ मे राज्य सरकार द्वारा लापरवाहीक आरोप लगबैत फंडिंग रोकि देलक आऽ पछिला तीन वर्षसँ ई योजना ठप्प अछि। वर्ष २००५ मे केन्द्र सरकार जल आऽ बिजली सलाहकार सेवा (वैपकास) लिमिटेडकेँ बाढ़िक मूल्यांकनक जिम्मेवारी देल गेल। पछिला तीन वर्षसँ सेहो परियोजनाक मूल्यांकन भऽ रहल अछि आऽ टाकाक अभावमे आगाँक काज रुकल अछि।
बिहार आऽ उत्तर प्रदेशक गंडक नदीपर बाढ़िक बचावक काज आऽ निर्माण काजक समीक्षाक लेल १९८१मे कोसीक तर्जपर गंडक उच्च स्तरीय समिति सेहो गठित कएल गेल। समय-समयपर एहि समितिक कार्यकाल बढ़ैत रहल आऽ आब एकर नाम गंडक उच्च स्तरीय स्थायी समिति कऽ देल गेल। जल संसाधन मंत्रालय लालबकिया, बागमती, कमला आऽ खाको नदीक तटबन्धकेँ मजगूत आऽ लम्बा करबाक वास्ते टाका उपलब्ध करौलक अछि। एकर बाद दसम पंचवर्षीय योजनामे साठि करोड़ टाका जल संसाधन मंत्रालय मंजूर कएने छल मुदा योजनाक सुस्त प्रगतिकेँ देखैत योजना आयोग एहि योजनाक टाका छियालिस करोड़ कऽ देलक। १९७८ मे जी एफ सी सीक अध्यक्षक अगुवाईमे कोसी उच्च स्तरीय समितिक गठन कएल गेल जे सभ साल बाढिसँ भेल नोकसानक आकलन करैत अछि आऽ बाढ़िसँ पूर्व होमए वाला उपायक सुझाव दैत अछि। मुदा ई बनैत समिति दर समितिक बाढ़ि असली बाढ़िक विभीषिकासँ लोक सभकेँ बचबऽ मे एखन धरि असफल रहल अछि। सभ साल बाढ़ि अपन भांज पुरैत अछि, समिति सेहो अपन बैसक कऽ सुझाव दैत अछि मुदा ओकर योजना आऽ सुझाव सँ नहि बाढ़ि रुकैत अछि आऽ नहि तबाहीक मंजर बदलि रहल अचि।
बाढिक वर्तमान स्थिति
जिला गाम प्रभावित लोक(लाखमे) मृतकक संख्या प्रभावित जानवर(लाखमे)
मधेपुरा ३७८ ११.५५ १५ ३.००
अररिया ९३ १.६० ०० ०.८०
सुपौल २४३ ८.९४ ०३ ४.५०
सहरसा १४५ ४.३१ ०९ १.५८
पूर्णिया ११८ ०.६५ ०० ०.३५
९७७ २७.०५ २७ १०.२३

बाँटल गेल सामग्री
मटिया तेल १२८६६ लिटर
नकद मदति ८५.०५ लाख
अन्न १४५३७ क्विंटल
नमक १८.२५ क्विंटल
सातु ४३५.५० क्विंटल
सलाई १४६१२५
मोमबत्ती २०९०१८

(स्रोत: आपदा प्रबंधन विभाग)(साभार विदेह www.videha.co.in)

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