Friday, August 19, 2011

सुमित आनन्द भारत-नेपालक मिथिला हस्तशिल्प कलामे असीम सम्भावना

सुमित आनन्द
भारत-नेपालक मिथिला हस्तशिल्प कलामे असीम सम्भावना

भारत-नेपालक मिथिला हस्तशिल्प कलामे असीम सम्भावनापर संगोष्ठी बी.पी.कोइराला नेपाल-भारत प्रतिष्ठान, नेपाल राजदूतावास, नई दिल्लीक तत्वावधानमे मधुबनी नगर भवनमे भेल। आलेख वाचन सत्र १८.०९.१० केँ आयोजित भेल। उद्घाटन सत्रक प्रारम्भ १८.०९.१० केँ मधुबनीक जिलाधिकारी श्री संजीव हंस (आइ.ए.एस.) द्वारा दीप प्रज्वलितक संग भेल। श्री जयप्रकाश नारायण पाठक, नयन कुमार मांझी, मेधा कुमारी, आरती मिश्रा आ ज्योति द्वारा मंगलाचरण तथा ओडिसी नृत्य प्रस्तुत कयल गेल। अतिथि गण सभक सम्मान एवं स्वागत भाषण अध्यक्ष, विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग डॉ. पुष्पम नारायण द्वारा कयल गेल। अंजली श्वेता आ तुलसी द्वारा स्वागतगान गाओल गेल। मंच संचालक डॉ. अमरनाथ सिंह बीजभाषण लेल विश्वविद्यालय इतिहास विभागक अवकाशप्राप्त विभागाध्यक्ष डॉ. रत्नेश्वर मिश्रकेँ आमंत्रित कयलनि। उद्घाटन भाषण जिलाधिकारी श्री संजीव हंस कयलनि। एहि कार्यक्रममे दुनू देशक कलाकारगण उपस्थित छलाह। मुख्य अतिथिक रूपमे श्री उमाकान्त पाराजुली, सांस्कृतिक परामर्शदाता, नेपाल राजदूतावास, नई दिल्ली छलाह। मुख्य अतिथि अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ. संजय कुमार मंजुल छलाह। अध्यक्षीय उद्बोधन विश्वविद्यालय हिन्दी विभागक अवकाश प्राप्त विभागाध्यक्ष डॉ. अजीत कुमार वर्मा कयलनि। कार्यक्रमक संचालन डॉ. अमरनाथ सिंह, अंग्रेजी विभाग, कुंवर सिंह महाविद्यालय, दरभंगा कयलनि। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शम्भू कुमार साहू, अध्यक्ष, भूगोल विभाग, जे.एम.डी.पी.एल., महिला कॉलेज, मधुबनी कयलनि।

प्रथम सत्र आलेख वाचन सत्रक शुभारम्भ अपराह्ण ०४.३० बजे भेल। कार्यक्रमक संयोजिका डॉ. पुष्पम नारायण पाग एवं चादरिसँ विद्वान आलेख वाचक एवं मंचस्थ अतिथि लोकनिक स्वागत कयलनि। एहि सत्रक अध्यक्षता श्री उमाकान्त पाराजुली कयलनि। एहि सत्रक आलेख वाचक लोकनि छलाह- श्री महेन्द्र मलंगिया, श्री कृष्ण कुमार कश्यप, श्रीमति मंजू ठाकुर, श्रीमति रानी झा, डॉ. सुरेन्द्र प्रसाद साहा एवं डॉ. कमलानन्द झा। हिनका लोकनिक व्याख्यानक विषय क्रमसँ छलनि:

-भारत की मिथिला हस्तशिल्प कला की प्राचीनता एवं आज का स्वरूप
-मिथिला हस्तशिल्प कला में बाजारीकरण की सम्भावना
-मिथिला हस्तशिल्प और महिला रोजगार- नेपाल के सम्बन्ध में
-मिथिला हस्तशिल्प कला और महिला रोजगार- भारत के सम्बन्ध में
- मिथिला हस्तशिल्प कला की कठिनाइयाँ
- मिथिला हस्तशिल्प कला में ह्रास- एक चिन्तन

सांस्कृतिक कार्यक्रम सत्र १८.०९.१० सांस्कृतिक कार्यक्रमक अन्तर्गत डोमकछ आ पमरियाक प्रस्तुति कलाकार द्वारा कयल गेल। एहि सत्रक संचालक रंगकर्मी डॉ. सुनील कुमार ठाकुरजी रामचरित मानसक प्रथम श्लोकसँ वाणी आ विनायकक आराधना कयलनि। कार्यक्रमक अन्तमे डॉ. सुनील कुमार ठाकुर सत्रावसान “जय हिन्द, जय नेपाल” कहि कऽ कयलनि।

द्वितीय सत्र १९.०९.२०१० केँ १०.३० बजे डॉ. नरेन्द्र नारायण सिंह निराला जीक अध्यक्षता तथा श्री सुनील मंजुल एवं श्रीमति रानी झा क मंच संचालनसँ सत्र प्रारम्भ भेल। एहि सत्रमे मुख्य अतिथिक रूपमे नेपाल राजदूतावासक सांस्कृतिक परामर्शदाता श्री उमाकान्त पाराजुली एवं श्रीमति शशिकला देवी छलथिन। हस्तशिल्प एवं वस्त्र मन्त्रालय, भारत सरकारक प्रतिनिधि विपन कुमार दास, चित्रकार कृष्ण कुमार कश्यप, रमेश झा (भारतीय स्टेट बैंक), प्रो. अरुण कुमार मिश्र, प्रो. ब्रज किशोर भंडारी, स्वैच्छिक संस्थाक सुनील कुमार चौधरी, महेन्द्र लाल कर्ण एवं प्रो. गंगा राम झा प्रश्न, समस्या एवं सुझाव प्राप्त कयलनि।।(साभार विदेह www.videha.co.in)

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