Tuesday, November 11, 2008

विद्यापति स्मृति दिवस (११ नवम्बर २००८) पर विशेष-यशस्वी कवि छलाह महाकवि विद्यापति -नवेन्दु कुमार झा, समाचारवाचक सह अनुवादक (मैथिली), प्रादेशिक समाचार एकांश, आकाशवाणी, पटना

नवेन्दु कुमार झा, समाचारवाचक सह अनुवादक (मैथिली), प्रादेशिक समाचार एकांश, आकाशवाणी, पटना
विद्यापति स्मृति दिवस (११ नवम्बर २००८) पर विशेष-यशस्वी कवि छलाह महाकवि विद्यापति
मिथिलांचलक पावन भूमि कतेको महापुरुषकेँ जन्म देलक अछि जकर यश अपना देशक अलावा विदेशमे सेहो पसरल। एहने महान विभूतिमे सऽ एक छलाह “महाकवि विद्यापति” जिनक रचनामे कल्पनाक बदला यथार्थक दर्शन होइत अछि। ओ ओहि गीतकारमे सऽ एकटा छलाह जिनक रचित गीतकेँ मिथिलांचलेमे नहि अपितु बंगाल, आसाम, उत्तर प्रदेश आदिक संगहि सम्पूर्ण विश्वक रसिक मंडली सम्मान देलक अछि। उत्तर भारतमे प्रचलित आर्यभाषा क्षेत्रमे विद्यापति सनक सम्मान प्रायः ककरो नहि भेटल अछि। असमिया, हिन्दी, बंग्ला आ मैथिली एहि चारि टा भाषाकेँ हिनक गीत एकटा नव प्रेरणा देलक अछि। महाकवि विद्यापति एकटा सुयोग्य कवि, लेखक, भक्त, राजनयिक, समाज सुधारक, स्मृतिकार, संगीतज्ञ आ ज्योतिषविद् छलाह। एहि सभ गुणक कारण आइयो हुनक नाम एहि तरहे लेल जाइत अछि जेना ओ आईयो हमरा सभक मध्य उपस्थित छथि। छह सहस्त्राब्दीक बादो आईयो हुनक विद्वता आ गुणक प्रसिद्धि मिथिलांचलक संगहि सम्पूर्ण भारत आ विश्वमे पसरल अछि।
महाकविक जन्म दरभंगा जिलान्तर्गत बिस्फी गाममे भेल छल। ओ सम्पन्न परिवारक छलाह। हुनक जन्मक सम्बन्धमे विद्वान सभक मध्य मत भिन्नता अछि। विभिन्न उपलब्ध सामग्रीक आधारपर विद्वान लोकनि हुनक जन्मक संबंधमे अनुमान लगबैत छथि। स्व. नागेन्द्रनाथ गुप्तक अनुसार महाकविक जन्म १३५७ ई. मे भेल छल। जखन कि स्व. हर प्रसाद शास्त्री हुनक जन्म १३५० ई. मानैत छथि। मुदा मिथिलांचलक विद्वान् महाकविक जन्म अनुसंधानक आधारपर १३६० ई. मानैत छथि तथापि बहुमत अछि जे महाकवि १३६० ई. सँ १४४८ ई. क मध्य विराजमान छलाह।
कहल जाइत अछि जे ओ पैघ आयु पएने छलाह। कतेको राजघरानाक उतार-चढ़ावकेँ ओ अपना आँखिसँ देखने छलाह। बुढ़ राजा-रानीसँ लऽ कऽ राजकुमार-राजकुमारी सभक संग हुनक निकटवर्ती संबंध रहल। हुनक पिता गणपति ठाकुर दरभंगा राजक राज मंत्री छलाह। हुनक पितामह जयदत्त पैघ विद्वान आ उच्च कोटिक संत छलाह। स्वयं विद्यापति सेहो जन्महिसँ ओइनवार वंशक राजा सभपर आश्रित छलाह। ओ महाराजा शिव सिंहक प्रधान पार्षद आ विश्वसनीय अमात्य छलाह। महाराज शिव सिंह अपन राज्याभिषेकक समय हुनक जन्मभूमि “बिस्फी” गाम हुनका दानमे दऽ देने छलाह। शिव सिंहक बाद सेहो विद्यापति, महारानी विश्वास देवी, महाराजा नरसिंह तथा महाराजा धीर सिंहक दरबारमे प्रधान राज पण्डितक रूपमे छलाह।
अपन दीर्घकालिक जीवनमे महाकवि कतेको ग्रन्थक रचना कएलनि। हुनक एहि ग्रन्थ सभक अध्ययन कएलासँ हुनक बहुमुखी प्रतिभा स्पष्ट होइत अछि। हुनक समयमे आबा जाहीक अतेक सुविधा नहि छल एकर बावजूद ओहि समयक मिथिलांचलक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल सभक विवरण “भू परिक्रमा” नामक ग्रन्थमे प्रस्तुत कऽ आबए बाला पीढ़ीक लेल पैघ उपकार कएलनि। संस्कृत भाषामे सेहो हुनक लेखनी चलल जाहिमे “शैव सर्वस्वसार”, “शैव सर्वस्वसार प्रमाण”, “पुराण संग्रह”, “दान वाक्यावली” आ “वर्षकृत्य” आदि प्रमुख अछि। संस्कृतमे ओ “मणिमञ्जरी” नामक नाटक सेहो ओ लिखलनि। “गोरक्ष विजय” नामक दोसर नाटक जे नेपालसँ भेटल अछि, ओहिमे संस्कृतसँ अलग मैथिली भाषामे सेहो गीत अछि। एकर अलावा अपभ्रंशमे ओ “कीर्तिलता” आ “कीर्ति पताका” नामक ग्रन्थक रचना कएलनि। कीर्तिलता हुनक पहिल रचना मानल जाइत अछि।
अपभ्रंश आ संस्कृतक अतिरिक्त हुनक काव्यक विशाल भण्डार मैथिली भाषामे सेहो विद्यमान अछि। हुनक यश मुक्त रचनामे सुरक्षित अछि, जकर प्रचार-प्रसार हुनक मरलाक बाद आइयो घरे-घर अछि। हुनक मृत्युक संबंधमे सेहो विद्वान सभ एकमत नहि छथि। जनश्रुति ई अछि जे हुनक मृत्यु १४५० ई. मे भेल मुदा नेपालक दरबार पुस्तकालयमे उपलब्ध “ब्राह्मण सर्वस्व” नामक ग्रन्थक आधारपर हुनक मृत्यु १४६० ई. मानल जाइत अछि। ओना सम्पूर्ण मिथिलांचलमे ई कहबी प्रचलित अछि जे-
“विद्यापतिक आयु अवसान
कार्तिक धवल त्रयोदशी जान”
उपेक्षित अछि सोनपुर आ हरिहर क्षेत्र मेला
अन्तर्राष्ट्रीय स्तरपर बिहारक पहचान देएबामे सोनपुर प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेलाक महत्वपूर्ण स्थान अछि। प्रति वर्ष कार्तिक पूर्णिमासँ शुरू भऽ ई मेला एक मास धरि चलैत अछि। ई मेला देशमे जानवरक सभसँ पैघ मेला अछि। एहि ठाम जानवरक अलावा दैनिक उपयोगी वस्तुक बिक्री सेहो होइत अछि। मेलामे मनोरंजनक विशेष व्यवस्था सेहो रहैत अछि। चारूकात नदी आ जलाशयसँ वेष्ठित एहि ठामक बाबा हरिहर नाथक मंदिरक सभसँ पैघ विशेषता ई अछि जे हरि आ हरक एक संग पुण्य दर्शन भक्त सभकेँ होइत अछि।
ई क्षेत्र पौराणिक आ धार्मिक महत्व बाला होएबाक संगहि ऐतिहासिक सेहो अछि। एहि ठामक माटिमे संगम आ समन्वयक भावना सेहो अछि। हरिहर क्षेत्रक स्वर्णिम इतिहास आइयो पूर्ण रूपेण जन साधारणक सोंझा नहि आबि सकल अछि। आइयो ई शोध आ अनुसंधानक अभावमे भूगर्भमे पड़ल अछि। एकर उज्जवल भविष्यक स्मृति चिन्ह आइयो एहि ठाम जमानासँ गौरव स्तम्भ आ प्रकाश कुंजक रूपमे विद्यमान अछि। कतेको ऋषि-महर्षिक साधनाक ई भूमि ज्ञानक तपोभूमि अछि। एकर पौराणिक गौरव गाथा पद्मपुराण सहित आन ग्रन्थमे सेहो सगौरव वर्णित अछि। बाबा हरिहरनाथक मन्दिर अति प्राचीन अछि जकर स्थापना स्वयं ब्रह्माजी अपना हाथे हरि आ हरक एकीकार लिंगक रूपमे एहि ठाम स्थापित कएने छलाह। हरि आ हरक एहन एकाकार संगम भारतवर्षमे कतहु नहि भेटैत अछि। एहि ठाम गंगा आ गंडक नदीक अभूतपूर्व संगम सेहो अछि।
हरिहर क्षेत्रक महातम्यक संदर्भमे कतेको कथा लिखल गेल अछि। पुराणक अनुसार एक बेर ब्रह्मा जीक पुरोहितीमे देवता सभ एकटा यज्ञक आयोजन कएलनि। कतेको कारणसँ ई यज्ञक विध्वंश भेल, तखन देवता सभ “हर”क स्थापना कएलनि आ यज्ञकेँ सफल बनौलनि। तखनसँ हरिहर क्षेत्र लोक विश्रुत भेल। पद्म पुराणमे व्व्हो वर्णन अछि जे शालग्रामीसँ उत्तर हिमालयसँ दक्षिण पृथ्वी महाक्षेत्र अछि। एहि ठाम बाबा हरिहरनाथक मंदिर अछि। ओहि स्थानपर भगवती शालिग्रामीक पतित-पावनि गंगामे आबिकऽ मिलन भेल अछि। संगम क्षेत्र होएबाक कारण एहि क्षेत्रक माहात्म्य बहुत बढ़ि गेल अछि। इहो कथा अछि जे शालिग्रामी तथा गंगाक संगम होएब आ महाक्षेत्रक अंतिम भाग होएबाक कारण एहि ठाम “हरि” आ “हर”क स्थापना भेल।
सोनपुरमे एहि स्थानपर कतेको मठ आ मन्दिर अछि जे स्थानीय प्रशासन आ सरकारक उफॆख्षाक शिकार बनल अछि। गंडक नदीक किनारपर ठीक सामने अछि गोटेक अढ़ाई सौ गज पश्चिम बाबा हरिहरनाथक मुख्य मन्दिर। कार्तिक पूर्णिमाक अवसरपर कतेको लाख श्रद्धालु प्रति वर्ष संगम स्नान कऽ बाबाकेँ जल चढ़ा श्रद्धा सुमन अर्पित करैत छथि। मन्दिरक प्रांगणमे कतेको आन छोट-छोट मन्दिर सेहो अछि जाहिमे विभिन्न देवी-देवता सभक मूर्ति स्थापित अछि। एहि मन्दिरक ठीक सोझाँ अछि एकटा महावीर मन्दिर जाहिमे उज्जर संगमरमरक गोटेक दस फीटक विशाल राम भक्त हनुमानक मूर्ति स्थापित अछि। हरिहरनाथ मन्दिरक पाछाँ मुगल बाड़ी अछि जाहिमे सेहो मन्दिर बनल अछि। मंदिरसँ सटल दक्षिण भागमे पुरान ठाकुरबाड़ी मन्दिर अछि, जखन कि मुख्य मन्दिरक सोझाँ पूरब दिश एकटा ऐतिहासिक तालाब अछि जकर निर्माण च्यवन ऋषि कुष्ठ रोगक निवारण लेल करबैत छलाह, मुदा किछु बाधा आबि गेलासँ एकर निर्माण नहि भऽ सकल। एकरा च्यवन ऋषिक तपस्थल अथवा च्यवन तालाबक नामसँ जानल जाइत अछि।
मन्दिरसँ भरल एहि क्षेत्रमे गंडक किनारमे अछि प्रसिद्ध ऐतिहासिक मन्दिरमे दक्षिणमुखी माँ कालीक प्रचण्ड रूप वाला दुर्लभ मूर्ति। एहि मूर्तिक ठीक सोझाँ सत्ताइस हाथपर शिवलिंग विराजमान अछि। मन्दिरक दक्षिणमे श्मसान अछि। मान्यता अछि जे ई काली मन्दिर सिद्धपीठ अछि जतए पहिने तंत्र-मंत्रक सिद्धि कएल जाइत छल। एहि काली मन्दिरक पाछाँ एकटा पुरान मन्दिर अछि जाहिमे कतेको मूर्ति विराजमान अछि। मन्दिरक प्रांगणमे पाल कालक कतेको महत्वपूर्ण अवशेष देखल जाऽ सकैत अछि। गीता बाबाक एहि मन्दिरमे हुनक जीवन कालमे रौनक रहैत छल, परञ्च बाबाक मृत्युक बाद सभ परम्परा ध्वस्त भऽ गेल। काली मन्दिरक उत्तर दिस अति प्राचीन गौरी शंकर मन्दिर अछि जाहिमे भगवान शिव आ माँ पार्वतीक सुन्दर आ ऐतिहासिक दक्षिण रुखक मूर्ति अछि। तंत्र साधक सभक मानब छनि जे एहि ठाम लागल मूर्ति काम विजय मुद्रामे अछि। एहि मन्दिरक प्रांगणमे एकटा विष्णु मन्दिर सेहो अछि जकर गुम्बदपर पाल काल आ मौर्य कालक कलाकृति उत्कीर्ण अछि। हरिहर नाथक मुख्य मन्दिरसँ पश्चिम गोटे दू सौ गजक दूरीपर विशालनाथ आ बालनाथक समाधि स्थल अछि जकर भीतरक भागमे अद्भुत कलाकृति अंकित अछि। महान तपस्वी स्वामी त्रिदण्डीजी महाराज द्वारा गजेन्द्र मोक्ष देव स्थानपर आकर्षण मन्दिरक नव निर्माण कराओल गेल अछि। भगवान विष्णुक ई मन्दिर हरिहर क्षेत्रक अद्भुत नमूना अछि।
ऐतिहासिक हरिहर क्षेत्र आ ओकर लगपास स्थित मन्दिर आ मठ लोक सभक आस्थाक केन्द्र अछि मुदा देखभाल उचित रख-रखावक अभावमे जीर्ण-शीर्ण भऽ रहल अछि। सभ साल हरिहर क्षेत्र मेलाक अवसरपर किछु साफ सफाई होइत अछि आ स्थानीय प्रशासन आ लोक सभ सेहो सक्रिय होइत छथि, मुदा एकर बाद ई अपेक्षित रहैत अछि। प्रतिवर्ष एहि मेलाक घटैत स्वरूप आ लोकक घटैत आकर्षणसँ एहि क्षेत्रक ऐतिहासिक आ पौराणिक स्वरूप संकटमे पड़ल जाऽ रहल अछि। एहि मेलाक विकासक लेल सरकार द्वारा मेला प्राधिकरणक घोषणा मात्र बयानबाजी साबित भेल अछि। पछिला वर्षसँ एहि मेलामे खरीदल जानवर सभक प्रदेशक बाहर लऽ जयबासँ प्रतिबन्धक कारण व्यापारपर असरि पड़ल अछि। सभ वर्ष उद्घाटन आ समापनपर मेलाक विकासक लेल भाषण होइत अछि जे मेलाक समाप्तिक बाद बिसारि देल जाइत अछि।
औद्योगिक रूपसँ पिछड़ल बिहारमे आय अर्जित करबाक लेल पर्यटन उद्योग संभावनासँ भरल अछि। एहि ठाम कतेको ऐतिहासिक, पौराणिक आ प्राकृतिक स्थल अछि जे पर्यटककेँ अपना दिस खिचि सकैत अछि। एहिमेसँ सोनपुर आ हरिहर क्षेत्र मेला सेहो एकटा अछि। जरूरत अछि जे एकर योजनाबद्ध विकास कऽ एकरा देशक पर्यटनक मानचित्रपर आनल जाए आ ई भाषण आ घोषणासँ नहि होएत एहि वास्ते सरकार, स्थानीय प्रशासन आ स्थानीय जनताकेँ एक संग प्रयास करक होएत।(साभार विदेह www.videha.co.in)

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