Friday, August 19, 2011

जितेन्द्र झा- मैथिलीभाषा

जितेन्द्र झा

मैथिलीभाषा धिरे धिरे आब विद्युतीय संचारमाध्यममे स्थान बना रहल अछि । दिल्लीसं सौभाग्य मिथिला नामक एकटा टेलिभिजन संचालन भेल अछि । इ सम्पुर्ण मैथिली टेलिभिजन रहल कहल गेल अछि । ई मनोरंजनात्मक टेलिभिजन अछि जाहिमे गीत नाद आ टेली श्रृंखला प्रसारणके प्रमुखता देल जारहल अछि ।

इ निश्चित जे जनसंख्याक अनुपातमे इ समुदायके अपन संचारमाध्यम नहि अछि। भारत आ नेपालक सीमामे बांटल प्रतीकात्मक मिथिला एखनो आन भाषाक माध्यमसं सुसूचित हएबाक बाध्यतासं मुक्त नहि भ' सकल अछि । ओना नेपालक किछु एफ़ एम आ नेपाली / भारतीय च्यानलसभसं मैथिली भाषाक माध्यमसं समाचार आ मनोरंजनक सामग्री एहि क्षेत्रमे पंहुच रहल अछि ।

टेलिभिजनमे मैथिलीके स्थापित करबाक प्रयास दिल्लीसं भेल । दिल्लीस संचालित नेपाल वन टेलिभिजनके मधेश स्पेशल कार्यक्रमसं मैथिली भाषामे समाचार आ गीतनाद प्रसारण भ' रहल अछि । दिल्लीसं प्रसारित नेपाल वनमे लगभग दु सालसं बेशी भ'गेल अछि एहि कार्यक्रमके । पहिने एक घण्टाक कार्यक्रममे मैथिलीमे समाचार,अन्तर्वार्ता आ मैथिली भोजपुरी गीत प्रसारण होइत छल आब वएह समयमे भोजपुरी आ थारुके सेहो सन्हिया देल गेल अछि ।

तहिना दिल्लीसं संचालित भोजपुरी भाषाक टेलिभिजनमे मैथिलीके किछु मिनेट भेट जाइत अछि । दिल्लीसं प्रसारित हमार आ महुवा टेलिभिजन मैथिलीमे कखनो किछु मैथिलीमे सामग्री देल करैत अछि । सहारा समयसेहो किछु दिन मैथिली भाषामे साप्ताहिक कार्यक्रम प्रस्तुत कएलक मुदा ओ निरन्तरता नहि पाबि सकल ।

मैथिली भाषा भारतक अष्टम अनुसूचिमे पडलाक बादो सरकारी संचार माध्यममे अपन स्थान नहि बना सकल अछि । दोसर दिश नेपालमे भारतसं संचालित नेपाल वन मैथिली भाषाक माध्यमसं मैथिली भाषीमे अपन अलग स्थान बनालेने अछि । नेपालक सरकारी टेलिभिजन नेपाल टेलिभिजनमे एखनो उपेक्षित अछि मैथिली। नेपालमे सभसं बेशी बाजल जाएबला दोसर भाषा मैथिलीमे निजी टेलिभिजनसभ किछु रुचि देखौलक अछि । काठमाण्डूसं प्रसारित सगरमाथा टेलिभिजन सांझमे लगभग 15 मिनटके समाचार प्रसारण करैत अछि त बिरगंजसं प्रसारित तराई टेलिभिजन सेहो मैथिलीमे मनोरंजनात्मक आ सूचनामुलक कार्यक्रम प्रसारण करैत अछि । नेपाल टेलिभिजनके मेट्रो टेलिभिजनमे साप्ताहिक मैथिली कार्यक्रम किछु एपिसोड चलल छल मुदा ओ निरन्तरता नहि पाबि सकल ।

मैथिली भाषाके प्रतिनिधित्व कएनिहार सशक्त संचार माध्यमके एखनो नितान्त अभाव अछि । सूचना प्रविधिक एहि युगमे मैथिलीके अपन अस्तित्व बचएबामे संचारमाध्यम सहायक भ' सकैया एहिमे किनको शंका नहि हएबाक चाही । जा धरि सशक्त संचार माध्यम मैथिलीके नइ भेट्त ता धरि इ कल्पना मात्र रहत जे मैथिलीक सुनिश्चित भविष्य अछि ।
अपार सम्भावनाक बादो संचारमे मैथिलीक सिकुडल काया कहिया पुष्ट हएत से कहब अनुमानो लगाएब कठिन ।

No comments:

Post a Comment