Friday, August 19, 2011

जितेन्द्र झा पताः जनकपुरधाम, नेपाल एखन; नई दिल्ली

जितेन्द्र झा

पताः जनकपुरधाम, नेपाल एखन; नई दिल्ली

स्वरक माला गँथती अंशु-

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हम सभ अपने भाषाकेँ हेय दॄष्टिसँ देखैत छी तें हमर भाषासाहित्य, गीतसंगीत आ संस्कृति पछुआ रहल अछि। ई कहब छन्हि अंशुमालाक। अंशु दिल्ली विश्र्वविद्यालयमे संगीतमे एम फ़िल कऽ रहल छथि। मैथिली गीत संगीतकेँ गुणस्तरीय बनएबाक लक्ष्य रखनिहारि अंशु मैथिलकेँ अपन भाषा-संगीत प्रतिक दृष्टिकोण बदलबापर जोड दैत छथि।

अंशुमाला संगीतक विद्यार्थी छथि। दिल्ली विश्र्वविद्यालयमे एम. फ़िल.मे अध्ययनरत अंशुक माय हिनक पहिल गुरु छथिन्ह। ई माय शशि किरण झासँ मैथिली लोक संगीतक शिक्षा लेने छथि। तहिना एखन किछु बर्षसं ई रेडियो कलाकार हॄदय नारायण झासँ संगीत शिक्षा ल' रहल छथि। बाल कलाकारक रुपमे सीतायण एलबममे गाबि चुकल अंशु बिभिन्न रेडियो कार्यक्रम आ स्टेज प्रोग्राममे सहभागी भ' क' मैथिली गीत गाबि अपन स्वरसं प्रशंसा बटोरने छथि।

एखन दिल्लीमे रहिकऽ संगीत साधनामे जुटल अंशु दिल्लीमे आयोजित विभिन्न कार्यक्रममे मैथिली गीत संगीत परसल करैत छथि।

मैथिली भाषीमे अन्य भाषाक गीत संगीतक प्रति बढैत रुचि मैथिली गीतसंगीत लेल हितकर नञि रहल हिनक कहब छन्हि। दिल्लीमे आयोजित एकटा कार्यक्रमकेँ याद करैत ई कहैत छथि जे जाहि कार्यक्रममे लगभग ८ हजार मैथिल रहथि ताहि कार्यक्रममे चाहियोकऽ मैथिली गीत नहि गाबि सकलहुं। ओहि कार्यक्रममे भोजपुरीक डिमाण्ड पुरा करैत अंशुके मैथिली डहकन गेबाक लेल मोन मसोसिक' रह' पडलनि। मुदा अंशु स्वीकारैत छथि जे गायक स्रोताक रुचिक आगु विवश होइत अछि, 'जनता जे सुनऽ' चाहत हमरा सएह गाबऽ पडत अंशु कहलनि। पटनामे मैथिली गीत गाबिक स्रोताक तालिक गडगडाटिसं खुश हएबाक आदति पडि चुकल अंशुकेँ दिल्लीमे आबिकऽ मैथिल भाषीक बदलल सांगीतिक स्वादसं अकच्छ लागि गेल रहनि।

मैथिलीमे लोकप्रिय धुनक अभाव रहबाक बात अंशु किन्नहु मान' लेल तैयार नहि छथि। धुन वा लयक अभाव नहि, स्रोता एहिसं अनभिज्ञ रहल हिनक दाबी छन्हि। मैथिली संगीतकर्मी एखनो आर्थिक समस्यासँ लडि रहल छथि, अंशु कहैत छथि। एहिक अभावक कारण प्यारोडी गीतक सहारा लेबालेल संगीतकर्मी बाध्य बनल अछि। मौलिक गीत,संगीतमे लगानीकर्ताक अभाव रहलासँ सेहो प्यारोडी संगीत लोकप्रिय भऽ रहल अछि, हिनक कहब छनि। 'सभसँ पैघ कमजोरी श्रोत छै कलाकार तँ सभ ठाम हारल रहैया' प्यारोडी प्रेमीपर रोष प्रकट करैत अंशु कहैत छथि। मुदा मैथिलीमे स्तरीय गीत संगीत स्रोताकेँ भेटक चाही से अंशुक विचार छन्हि। मैथिली लोकरंग मन्चद्वारा दिल्लीमे आयोजित कार्यक्रममे श्रोता भेटल वाहवाहीक उदाहरण दैत अंशु कहैत छथि जे स्रोताक मनोरन्जनक लेल स्तरीय कार्यक्रम सेहो हएबाक चाही।

मैथिली रंगकर्ममे लगनिहारकेँ उचित सम्मान तक नञि भेटि सकल, अंशुमालाक अनुभव छन्हि। मैथिली कलाकारकेँ आब' बला दिनमे बहुत मान सम्मान भेटक चाहि, हम इएह चाहैत छी अंशु कहैत छथि। मैथिली संगीतकेँ एकटा ऊँचाई पर पंहुचएबाक लक्ष्य रखनिहारि अंशु मैथिली रंगकर्ममे एखनो लडकी लेल बहुतो कठिनाई रहल बतबैत छथि।

अंशु आगु कहलनि-मैथिल समाजसँ जाधरि कलाकारकेँ सम्मान नञि भेटतै ताऽ धरि एहि क्षेत्रमे लडकी अपन प्रतिभा देखाब' लेल आगु नञि आओत।

2. नेपाल वन आ मधेश
स्पेशल

टेलिभिजनमे जँ मैथिलीक मादे बात करी त नेपाल वन टेलिभिजनके एकटा अलग स्थान बनि चुकल अछि। नेपाल वन टेलिभिजन राति पौने ८ बजे प्रसारित होब' बला मधेश स्पेशलक माध्यमसं मैथिली बहुतो मैथिल धरि पंहुच रहल अछि। नेपालमे सभसं बेशी बाजल जाए बला दोसर भाषा मैथिली रहितंहु ओत्त ताहि अनुपातमे संचारमाध्यममे मैथिलीके स्थान नई भेट सकल छइ। एहन अवस्थामे पडोसी देश भारतसं सन्चालित नेपाल वन टेलिभिजन मैथिलीमे कार्यक्रम प्रसारण क मैथिलीभाषा भाषी मध्य अपन अलग स्थान बनालेने अछि। नेपालमे सरकारी स्तरपर संचालित नेपाल टेलिभिजन सहित निजी टेलिभिजन च्यानलमे मैथिली एखनो उपेक्षिते अछि। यद्यपि बेर बेरके मधेश आन्दोलन आ संचारमाध्यमपर लाग बला साम्प्रदायिकताक आरोपक कारणे काठमाण्डुकेन्द्रित टेलिभिजनसबमे आब मैथिलीके स्थान भेट लागल छइ। काठमाण्डुसं प्रसारित सगरमाथा टेलिभिजन सेहो सभदिन मैथिलीमे समाचार देल करैत अछि।

नेपाल वन टेलिभिजनक मधेश स्पेशल नामक 1 घण्टाक कार्यक्रममे समाचार, नेपालक समसामयिक राजनीति, नेपालक प्रमुख मुद्दापर बातचित आ गीत संगीत समेटल गेल अछि। समसामयिक वस्तुस्थिति पर लोक अपन धारणा द क परिचर्चाके महत्वपूर्ण बना देल करैत अछि। ई कार्यक्रम राति पौने आठ बजेसं पौने नओ बजेधरि प्रसारित होइत अछि। नेपाल केन्द्रित समाचार रहितो नेपाल सं बाहर इ कार्यक्रम देखिनिहार मैथिल कमी नई अछि। नेपालक सीमावर्ती मधुवनी, दरभंगा, सीतामढी, सुपौल, सहरसासहितके जिल्लासभमे सेहो एकर दर्शकके कमी नहि अछि। नेपालक मैथिल जत्त मैथिलीमे समाचार, गीत, आ परिचर्चा सुनि क सुसूचित होइत छैथ ततई भारत आ आन ठामक दर्शक मैथिली गीत आ संचारमाध्यममे मैथिलीक बोली सुनि हर्षित भेल करैत अछि।

मधेश स्पेशल नेपालक मधेशीके एकटा अन्तर्राष्ट्रिय संचारमाध्यममे मुंह खोलि क बजबाक अवसर देलकै, सेहो अपने भाषामे। नेपालक संचारमाध्यमसं सेहो कटल कट्ल रहबला मधेशके छोट छिन घटना सेहो प्रमुख समाचार बन लागल। मधेशीक मुद्दापर खुलिक बहस शुरु भ गेल। मधेशक नेता सेहो धोती कुर्ता पहिरिक काठमाण्डुएमे बैसि क कोनो टेलिभिजन पर प्रत्यक्ष रुपेँ जनतासँ बातचित कर लगला। टेलिभिजनमे जत्त मैथिली शुन्यप्राय छल ताहि अबस्थामे एक्कहिबेर एक घण्टा मैथिलीक कार्यक्रमके लोकप्रिय होब मे बेशी समय नइ लगलै। एखन इ कार्यक्रम दू बर्ष पुरा कर लागल अइ।

नेपाल 1 टेलिभिजन डिस टिभी आ टाटा स्काइपर उपलब्ध हएबाक कारणे इ देश विदेशमे रह बला मैथिललग सहजहिं पंहुच बनालेने अछि। एहिद्वारे लगभग ७० टा देशमे रहबला मैथिल भाषी मधेश स्पेशलके माध्यमसं मैथिलीमे सुचना आ मनोरन्जन ल रहल छैथ। मधेश स्पेशल मैथिली आ भोजपुरीक मिश्रित कार्यक्रम अछि। एहिमे मैथिली भाषाक गीत नादक अतिरिक्त भोजपुरीक चौकी तोड आ आधुनिक गीत सेहो प्रसारण होइ छै। ई कार्यक्रम तीन भागमे बाटल अछि। पहिलमे नेपाल आ अन्तर्राष्ट्रिय समाचार रहैछै त दोसरमे समसामयिक चर्चा(टक शो) आ तेसरमे मैथिली/भोजपुरी गीत।

दृश्य संचारमे मधेश स्पेशल मैथिलीके जगजियार करमे बड पैघ भूमिका निर्वाह क रहल अछि आ क सकैत अछि से कहनाई अतिशयोक्ति नई हएत। डोम कछ आ जट जटिनक नाचसं जं माटिक सुगन्ध लेब चाहैत हुवए त हुनका सभहक लेल मधेश स्पेशल सहायक भ सकैत छै।

मेधेश केन्द्रित कार्यक्रम होइतो इ मिथिलान्चलके सर्वाङिण विकासमे कत्तेक सहायक हएत से त आव बला दिने बताओत मुदा एतवा निश्चित जे टेलिभिजनमे मैथिलीक नियमित प्रसारणसं मैथिलके अपन बोली अपन भाषा याद दियबैत रहैतै।

नेपालक (किछु भारतक) मिथिला मैथिल मैथिलीक सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक-सांस्कृतिक समाचार

भाषा हित कि भोट्क लोभ

नयी दिल्लीक मैथिली भोजपुरी एकेडमीक अध्यक्ष एवं दिल्लीक मुख्यमन्त्री शीला दीक्षित मैथिली भोजपुरी एकेडमीकेँ आन एकेडमीसँ आगू बढल देखऽ चाहैत छी, से कहलनि अछि। मैथिली भोजपुरी एकेडमी द्वारा आयोजित भिखारी ठाकुरक विदेशिया नाटक मन्चन कार्यक्रममे दीक्षित ई बात कहलनि। मैथिलीक लेल अलग एकेडमीक माँगक प्रति दीक्षित कहलनि जे हमरा सभकेँ जोड़क बात करक चाही तोडक नञि। एकताक दोहाइ दैत मुख्यमन्त्री भने अलग एकेडमीक् बातसँ कन्नी कटने होथि मुदा मैथिली भाषा साहित्यमे लागल प्रबुद्धबर्ग मानैत छथि जे अलग एकेडमीसँ मात्र मैथिलीक वास्तविक विकास भऽ सकत। ओना एकेडमी भोट बटोरबाक साधन मात्र नञि बनए ताहि दिश सेहो ध्यान देब जरुरी अछि। एकेडमीक आयोजनमे ६ अगस्त मंगलक राति विदेशिया आऽ ७ अगस्त बुधक राति महेन्द्र मलंगियाक काठक लोक मन्चित कएल गेल छल। मैथिली भोजपुरी एकेडमी आन एकेडमीसँ आगू बढय से दीक्षितके कहब रहनि। सरकारी ढिलासुस्तीकेँ स्वीकारैत ओऽ एक दिन सबहक आवाज सुनल जायत, कहलनि। नव दिल्लीमे एकेडमी द्वारा आयोजित कार्यक्रममे भोजपुरी नाटक विदेशिया देखलाक बाद दीक्षित नाटक खेलनिहार रंगकर्मीकेँ प्रशंसा केने रहथि। नाटयशालामे भोजपुरी आऽ मैथिली भाषीक भीड़ लागल छल। तहिना मैथिली भोजपुरी एकेडमीक उपाध्यक्ष अनिल मिश्र, एकेडमी, विहारक समॄद्ध संस्कॄतिकेँ बखानैत एहन प्रस्तुति निरन्तर होइत रहत, से जनतब देलनि।

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"हमर सिंहासन अटल अछि" मलंगिया

'जाधरि हमर कलम चलैत रहत ताधरि मैथिली नाटककारक रुपमे हमर ऊँचाइ धरि कियो नञि पहुँचि सकैत अछिए। ई सिंहनाद छनि मैथिलीक प्रख्यात नाटककार महेन्द्र मलंगियाक। समकालीन मैथिली साहित्यकारकेँ चुनौती दैत, ओ नाटककार अपन सिंहासन किनको बुते डोलाएल पार नञि लगतए से दाबी करैत छथि। मैथिली नाटककार महेन्द्र मलंगिया एखन मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आऽ ख्यातिप्राप्त नाटककारमे चिन्हल जाइत छथि। चुनौतीपुर्ण शैलीमे मलंगिया कहैत छथि, हमर हाथमे जाधरि कलम अछि, हम अपन स्थानपर टिकले रहब, हमर सिंहासन अटल अछि। मैथिली नाटकक भीष्मपितामह कहल जाए तँ केहन लगैए, ताहि जिज्ञासामे मलंगिया मुस्कियाइत कहलनि जे हमर नाटक लोककेँ पसिन छञि हमरा ताहि पर गर्व अछि, हम जाहि स्तरक नाटक लिखैत छी, तेहन रचना एखन नञि भऽ रहल छञि। ओऽ जनकपुरक रंगकर्मीक खुलिकऽ प्रशंसा करैत छथि। मैथिली रंगकर्ममे लागल जनकपुरक कलाकारक मलंगिया प्रसंशा करैत कहलनि, जनकपुरक कलाकारसँ बहुत आशा कएल जाऽ सकैत अछि। मैथिली नाटकमे शेक्सपियर कहल जाएबला मलंगिया ४ दशकसँ बेशी समय नेपालमे बिता देने छथि। ओऽ नेपालमे मैथिली साहित्यक संरक्षण लेल सन्तोषप्रद काज नञि भऽ सकल, बतौलनि। नेपालमे दोसर सभसँ बेशी बाजल जाएबला भाषा मैथिलीमे रंगकर्मक समयसापेक्ष बिकास नञि भऽ सकल मलंगियाक कहब छनि। लोकतन्त्र बहालीक बाद सेहो नेपाल सरकार मैथिलीक लेल किछु नञि कऽ सकल हुनक आरोप छन्हि। नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान द्वारा मैथिली भाषा, साहित्यक लेल भेल काजके ओऽ कौराके संज्ञा देलनि। प्रतिष्ठानद्वारा मैथिलीलेल भऽ रहल काज प्रति मलंगिया असन्तुष्टि ब्यक्त कएलनि। मैथिली रंगकर्ममे निरन्तर कार्यरत संस्थाकेँ सरकार दिशसँ कोनो तरहक सहयोग नञि भेट रहल बतबैत, ताहि प्रति खेद ब्यक्त कएलनि। सरकारी उपेक्षाक कारण सेहो मैथिली रंगकर्म ओझराहटिमे पडल, मलंगिया मानैत छैथ।

मैथिली साहित्यमे नाटककार आऽ निर्देशकक रुपमे ख्यातिप्राप्त मलंगिया रंगकर्मकेँ रोजीरोटीसेँ जोडल जाए, से कहैत छथि। जाऽ धरि रोजीरोटीसँ रंगकर्म नञि जुटत ताऽ धरि बिकास सम्भव नञि, मलंगिया स्पष्ट कहैत छथि। जनकपुरमे मिथिला नाटय कला परिषदसँ आबद्ध भऽ मैथिली नाटककेँ जन-जन धरि पंहुचएबाक अभियानमे लागल मलंगिया राजतन्त्रमे मैथिली भाषा संस्कृतिक संरक्षणक लेल कोनो काज नञि भेलाक कारणे सेहो मैथिली पछुआएल अछि, से कहलनि।

मैथिली भाषामे आम दर्शकक मोनमे गडि जाएबला नाटक लिखिकऽ मैथिली साहित्यक श्री बृद्धिमे योगदान देनिहार मलंगिया नाटककार नाटक लिखैत काल दर्शकक मानसिकता, उमेर , शिक्षा आऽ पेशाकेँ ध्यानमे राखए से सलाह दैत छथि। 'हम दर्शककेँ लक्षित कऽ नाटक लिखैत छी, तेँ हमर लिखल नाटक लोककेँ नीक लगैत छञि, मलंगिया अपन सफ़लताक रहस्य बतबैत कहलनि।

बिदेशिया नाटक

बिदेशिया घुरि जो

विदेश जएवाक बाध्यता समाजक एकटा कटु सत्य अछि। अपन गामघर छोडिकऽ कियो विदेश जाय नञि चाहै-ए, मुदा परिस्थितिक आगू ककरो किछु नञि चलए छञि। किछु एहने परिवेशकेँ पर्दापर देखेबाक प्रयास कएल गेल विदेशिया नाटकमे। मैथिली भोजपुरी एकेडमीद्वारा दिल्लीमे आयोजित विदेशिया नाटकमे किछु एहने देखल गेल। वियाह भेलाक किछुए दिनक बाद विदेशिया गाम छोडि दैत छञि, विदेश जाऽ कऽ पैसा कमाय लेल। गाम संगहि विदेशियाकेँ छुटि जाइत छञि, अपन नवकी कनियाँ, गामक संगी-साथी आऽ याद सेहो। ओ पाईक लोभसँ घर छोडने रहैया, मुदा ओऽ पाई तँ नईहे कमासकल शहरमे अपन जीवनके एकटा आओर साथी बनालैयऽ। एम्हर ओकर पहिल कनियां विदेशियाके बाट जोहैत रहैयऽ। विदेशियाक यादमे ओऽ कखनो बटुवाके पुछैयऽ तँ कखनो बारहमासा गबैयऽ। नाटकक निर्देशक संजय उपाध्याय विदेश जएबाक ग्रामीण प्रबॄतिकेँ सुखान्त बनेलहुँ से कहलनि। गामक सोझ आऽ सुशील कनियाकेँ छोडि विदेशिया विदेशमे रइम जाइयऽ। ओकरा आब शहरिया संगी निक लगै छइ, जे दुगोट बच्चाक माय सेहो अइ। विदेशिया अपना आपके बिसरि जाइयऽ। गामक कनिया नइ शहरक छम्मकछल्लो आब ओकर प्राण भऽ गेल छञि। एहिबीच भिखारी विदेशियाकेँ निन्नसँ जगबैत अछि। नाटकमे भिखारी बनल रंगकर्मी अभिषेक शर्मा नाटकक माध्यमसँ लोक अपन गाम घरके याद करलेल विवश भऽ जाइयऽ, से कहलनि। विहारक सुपौल जिलाक रंगकर्मी शारदा सिंह नाटकमे देखाएल गेल विषय बस्तु समाजक सत्य रुप रहल बतौलनि। विदेशिया गाम तँ घुरैयऽ मुदा असगरे नई चारि गोटेक संगे , दूटा बालगोपाल आऽ तकर माय। किछु झोंटाझोंटी आऽ कलहक बाद दु्नू सौतिन आऽ विदेशिया गामेमे रहऽ लगैयऽ। नाटक अन्ततः सुखान्त भऽ कऽ समाप्त होइत अछि। ई कथा गामसँ बाहर रहनिहार एकटा निम्न मध्यमबर्गीय युवककेँ जिनगीक मात्रे नञि अछि। बहुतो युवक गाम देहात छोडिते अपन माटि पानिकेँ बिसरि जाइत अछि। शरीरसँ मात्र नञि मोनसँ सेहो विदेशिया भेनिहारकेँ ई नाटक अपन गाम अपन वास्तविक पहिचानक याद दियबैत रहत।

आब चलू नेपाल दिस

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सशस्त्रक सनसनी

मधेश एखन दू दर्जनसँ बेशीक संख्यामे रहल सशस्त्र समूहसँ आक्रान्त अछि। कहियो सशस्त्रक विरोधमे जनकपुरक जानकी मन्दिरमे पत्रकार रैली निकालैत अछि तँ कहियो सिरहाक कर्मचारी कार्यालयमे ताला लगाकऽ सशस्त्रक विरोध प्रदर्शन करैत अछि। तहिना सर्लाहीमे बस चालकक हत्या भेलासँ शुरु भेल यातायात बन्दसँ जनजीवन कष्टकर भऽ रहल अछि। मधेशक माँगकेँ अपन नारा बनाकऽ खुलल दू दर्जनसँ बेशी संगठनकेँ एखन मधेशमे तीब्र बिरोधक सामना करऽ पड़ि रहल छन्हि।

चालकक हत्या

सर्लाही। राजमार्गमे एखनो शान्ति सुरक्षाक अबस्था बेहाळे अछि। सर्लाही जिलामे हथियारधारी लुटेरा समुह ७ तारिखक रातिमे एकटा बस चालकक गोली मारि हत्या कऽ देलक। राजधानी काठमाण्डू जाऽ रहल बसक चालक कॄष्ण खवासक गोली लागि मॄत्यु भेल छल। पूर्व पश्चिम राजमार्ग अन्तर्गत सर्लाहीक जंगलमे राति ९ बजे ओऽ समूह बसमे लूटपाटक प्रयास कएने रहए। बस नञि रोकि भागऽ लगलाक बाद लुटेरा समूह गोली चलौने छल। गोली लागि घायल भेनिहार चालक खवासकेँ उपचारक बास्ते लालबन्दी अस्पताल लऽ जाइत अबस्थामे बाटेमे मृत्यु भेल, से स्थानीय प्रहरी जनौलक अछि। चालकक गोली लगलाक बाद खलासी बसकेँ नियन्त्रणमे लऽ कए दुर्घटना होबऽ सँ बचौने छल। प्रहरी घटनामे संलग्न होएबाक आशंकामे सात गोटेकेँ पकडलक अछि। दोसर यातायात व्यवसायी आऽ मजदुर चालक हत्याक बिरोधमे चक्काजाम जारी रखने अछि। सरकार समस्या समाधान लेल आगू नञि आएल, कहैत यातायात मजदूर देशव्यापि आन्दोलनक चेतावनी देलक अछि। मजदूर आऽ व्यवसायी पुर्वान्चलक तीन अन्चल आऽ जनकपुर अन्चलमे चक्काजाम कएलाक बाद जनजीवन प्रभावित भेल अछि। बन्दक कारण उपभोग्य वस्तुक अभाव होबऽ लागल अछि।

नेपालक (किछु भारतक) मिथिला मैथिल मैथिलीक सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक-सांस्कृतिक समाचार

"रे नोर एना तोँ नञि टपक"

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कोशी नेपाल आऽ भारतक जनता लेल एकटा अभिशापसँ कम नञि। १८ अगस्तक कोशी नदी पुर्वी तटबन्धकेँ पश्चिम कुशहा लग तीन सय मीटर भत्थन करैत बाट बदलने छल। तञि के बाद नेपालक लगभग १ लाख जनता विस्थापित भेल। वएह पानि जहन बिहारमे आएल तँ आओर विकराल रुप ल लेलक। बिहारमे पानिसं ३० लाखसं बेशी जनता प्रभावित अछि, जाहिमे २० लाख कोशी इलाकाके अछि। मृतकक संख्या हजारोमे हेबाक आशंका कएल जाऽ रहल अछि। बिहार सरकारक तथ्यक अनुसार कोशी बाढिसँ ७ सय ७५ गामक २२ लाख ७५ हजार जनता प्रभावित अछि।

कोशीक कोप

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चीनक तिब्बत उदगमस्थल रहल कोशी नेपाल होइत बिहार कुर्सेला धरि सात सय २० किलमीटर दुरी पार करैत गंगानदीमे मिलैत अछि। कोशी नदी वार्षिक ५० अरब घन लिटर पानि गंगानदीमे पंहुचाबै-ए। कोशी नदीक वर्तमान जलाधर क्षेत्र ९२ हजार ५ सय ३८ वर्ग फ़िट मिटर अछि, जाहिमेसँ ४१ हजार ३ सय ३३ वर्ग किलोमीटर नेपालक भीतर पड़ैत अछि। कोशी योजना संचालनक ४५ वर्ष होइतो कोशी पीडितक समस्या जहिनाक तहिना अछि।

नेपाल आऽ भारत दुनु देशकेँ एहि प्रश्नक उत्तर देव आवश्यक अछि- किए टुटल बान्ह ? बाढिसँ गरीब किसान भूमिहीन भऽ गेल अछि, ने लत्ता कपडा ने पेटमे अन्न आऽ ने पीबालेल पानि। किसान टकटक्की लगौने अछि कोशीक पानि पर, जे कखन घटत? जमिनदार पानिदार भऽ गेल, गाय महिष सबटा दहाऽ गेल छैक, आव बाँकी छञि मात्र जीवाक आश,,,,,।

दोष ककर

नेपाल आऽ भारत दुनु पक्ष एक दोसराके दोषारोपण कऽ रहल अछि। 'भारतीय प्राविधिक तटबन्ध मरम्मतिक लेल गेल छल मुदा, ओत्त काज करबाक वातावरण नञि बनलाक बाद तटबन्ध निर्माण नञि भऽ सकल, भारतीय पक्ष कहैत अछि। कोशी नदीक समझौता अनुसार नेपाल किछु नञि कऽ सकैत अछि, तेँ हमसभ मुक दर्शक छी, दोष भारतक अछि नेपाली पक्षके दाबी। भारतीय प्रधानमन्त्री डा मनमोहन सिंह बाढ़िक बिभीषिका देखिते राष्ट्रीय विपत्तिक घोषणा कऽ देलनि। बहुत रास पाई आऽ खाद्यान्न सहयोग करबाक आश्र्वासन सेहो। मुदा कोशी तटबन्ध टुटल किए, एकर सरकारी स्तरपर कोनो तरहक जाँच-बुझक आदेश नञि देल गेल अछि। हँ नेपालसँ एहि बिषयमे बातचीत करबालेल एकटा उच्चस्तरीय कमिटीक गठन कएल गेल अछि। ओऽ समिति की बातचीत करत आऽ की निष्कर्ष निकालत भविष्यक गर्भमे अछि।

क्षतिपुर्ति

कोशी समझौताक अनुसार कोशी तटबन्धक सभ तरहक काज भारतक जिम्मामे अछि। तटबन्धक मरम्मति मात्रे नञि तटबन्ध टूटलासँ होबऽ बला क्षतिपुर्ति सेहो भारते देत, से सन्धिमे उल्लेख अछि। नेपालक परराष्ट्रमन्त्री उपेन्द्र यादव कोशी समझौता अनुसार भारत सरकारकेँ सभ तरहक क्षतिपुर्ति देबऽ पडतै, से कहैत छथि। सन्धिक अनुसार इलाज, पुनर्वास आऽ खाद्यान्न जेहन सहयोग भारत सरकारकेँ करक चाही। भारतीय प्रधानमन्त्री आऽ विदेशमन्त्रीसँ सहयोगक आग्रह कएल गेल आऽ ओऽ सभ एहि प्रति सकारात्मक रहल, मन्त्री यादव कहलनि। आब देखऽ के बाँकी अछि, कोशी पीडित धरि कहिआ पडोसी देशसँ सहयोग पहुँचैत छञि।

नञि रुकल कटान

कोशी कटान नियन्त्रणलेल एखन धरि कएल गेल सभ प्रयास असफ़ल भेल अछि। कोशीक सभसँ महत्वपुर्ण मानल जाएबला स्पर बहऽ लागल अछि। नेपाल आऽ भारतीय प्राविधिक टोलीद्वारा कटान नियन्त्रणलेल कएल गेल प्रयास निरर्थक भऽ गेल अछि। संयुक्त प्राविधिक टोलीक निगरानीमे बीस हजार बोरा बालु, गिटी राखि कऽ नदिकेँ पश्चिम दिश घुमएबाक प्रयास निरर्थक भऽ गेल अछि। बर्षाक कारण सेहो बाढि नियन्त्रण दुरुह बनल अछि। नेपाल सरकार कोशी कटानसँ बिस्थापित भेनिहारक प्रति परिवार १५ हजार टका सहयोग देत। ई १५ हजार ब्यथित कोशीपीडितके कत्तेक सहयोग भऽ सकत ओऽ सहजहि अनुमान लगाओल जा सकै-ए।

किछु मरल बहुतो निपत्ता

सप्तकोशी नदी गामेक बाटसँ बह लगलाक बाद विस्थापित भेनिहारसभ एखनो अपन परिजनक खोजिमे अछि। हरिपुर, श्रीपुर आऽ पश्चिम कुशाहासँ विस्थापित सभ अपन घर परिवारक सदस्यके ढुंढि रहल अछि। सुनसरी प्रशासन एखनधरि ५ गोटेक मृत्युक पुष्टि कएलक अछि। मुदा एखनो चारि सय गोट सम्पर्कविहीन अछि।

दोसर दिश कोशी बाढ़िसँ विस्थापित आब पेटझरीक चपेटमे आबि गेल अछि। पानि गन्दा भऽ गेलाक बाद विस्थापित शिविरमे पेटझरी आऽ मुँहपेट जाएव विकराल रुप लऽ लेने अछि। विस्थापित एक बालक सहित दु गोटक पेटझरीसँ मृत्यु भेल अछि। मृत्यु भेनिहारमे श्रीपुर-३ के ५६ वर्षीयय तेजन सदा आऽ ६ वर्षिय रम्बा सदा अछि। सुनसरीक विभिन्न २९ शिविरमे एक हजार ५ सय गोट एखन बिमार अछि। अधिकांशमे पेटझरी, निमोनिया, बोखार आऽ छातीमे इन्फ़ेक्सन देखल गेल अछि। रोगीमेसँ १२ गोटक अवस्था चिन्ताजनक रहल, उपचारमे संलग्न चिकित्सक जनौलक अछि।

कत्तेक बिपत्ति !

बाढ़िसंगहि सप्तरी जिलामे सर्पदंश बढि गेल अछि। सर्पदंशसँ शुक्रक राति आओर एक गोटेक मृत्यु भेल अछि। भादव महिनामे सांप कटलासँ मरनिहारक संख्या ६ भऽ गेल स्थानीय जनस्वास्थ्य कार्यालय जनौलक। खेतमे काज कऽ रहल स्थानीय रामकृष्ण यादवकेँ सांप कटने रहन्हि। इलाजक लेल सगरमाथा अंचल अस्पताल लऽ जाइत काल हुनक मृत्यु भेल। एहिसँ पहिने फ़किरा ३ क ४५ बर्षीय रामअशिष यादव, पत्थरगाडा ७ क १४ बर्षिय बमभोला यादव आऽ महादेव ८क १२ बर्षीय घनश्याम इसरक मृत्यु भऽ चुकल अछि।

बिहारक बाध्यता

कोशीक जलस्तर बढ़लाक बाद बिहारक स्थिति आओर असहज भऽ गेल अछि। बिहार सरकार वायु सेनाक ४ हेलिकप्टर, ८ सय ४० नाव आऽ सेनाक मदतिसँ युद्ध स्तरमे राहत कार्य भऽ रहल बतौलक अछि। मुदा बाढिपीडित लाखो जनता एखनो बाढिमे फ़ंसल अछि। सरकारी सहयोग समेत अपर्याप्त रहल, बाढिपीडितक कहब छञि। बिहार सरकार एखन धरि कोशी क्षेत्रमे २८ आऽ समुचा राज्यमे ७६ गोटेक मृत्यु भेल जनौलक अछि। मुदा प्रभावित इलाकामे स्थानीयवासी बहुतो शव दहाइत देखल गेल कहैत अछि। बिहार सरकारक तथ्यांकमे कोशी बाढ़िसँ ७ सय ७५ गामक २३ लाख जनता प्रभावित भेल कहल गेल अछि।

बिछियाक आर्तनाद

पेटमे अन्न नईं, राहतलेल आकाशमे टकटकी लगौने आंखि, आङमे लत्ताकपडाक अभाव आ भोक्कासी ...। सभ अपन अपन पीडा सुना रहल अछि। पेटके राक्षस शान्त नई भेलाक बाद ओ त सौंसे आदमीएके खा लेलक। नवजात शिशु कत्तेक काल भुक्खे
रहैत, ओकरा कोशीक कोरमे छोडिदेल गेल।

कोशी सन बेदर्दी जगमे कोइ नइ लघुनाटकमे किछु एहने देखल गेल। मैलोरंगक आयोजनमे दिल्लीमे सेप्टेम्बर १२ क' मन्चित लघुनाटकमे कोशीक बिभीषिका देखएबाक प्रयास कएल गेल। नाटकमे राहतलेल मारामारी कएनिहार जनता भुखसं मृत्युवरण करबाक बाध्यताके जीवन्त रुपमे प्रस्तुत कएल गेल। पीडितके रोदनसं दर्शक भावविह्वल बनल छल। मैलोरंग सेप्टेम्बर १२ सं १४ तारिखधरि मैथिली लोकरंग महोत्सव स्थगित कएलक अछि। कोशी क्षेत्रमे घुरैत मुस्कानकसंग महोत्सव आयोजन हएत मैलोरंग जनौलक अछि।

संघर्षक कठिन बाट

मैथिली साहित्यकार व्रजकिशोर बर्मा मणिपद्मक स्मृतिमे नयां दिल्लीमे सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन कएल गेल। एहि कार्यक्रममे मैथिली नाटक मन्चन हएबाक संगहि मिथिलांगन संस्थाक स्मारिका सेहो विमोचन कएल गेल। मिथिलांगन साहित्यकार मणिपद्मक स्मृतिमे 'उगना हल्ट' नामक मैथिली नाट्क मन्चन कएने छल।

http://www.videha.co.in/Ugana%20Halt.jpg

ब्रज किशोर बर्मा मणिपद्म मैथिली साहित्यक चर्चित नाम अछि। लोक साहित्यक संरक्षणमे हुनक योगदान उल्लेखनीय मानल जाईत अछि। इएह योगदानक सम्मान करैत हुनका मैथिलीक वाल्टर स्काट सेहो कहल जाईत छन्हि। लोरिक, राजा सल्हेश, नैका बन्जारा जेहन लोकगाथाक संरक्षण करबामे हुनक योगदान सराहनीय रहल कार्यक्रममे कहल गेल। मिथिलांगन एहिसँ पहिने सेहो मणिपद्मक स्मृतिमे विभिन्न कार्यक्रम आयोजन करैत आएल अछि। तहिना त्रैमासिक मिथिलांगन पत्रिका सेहो प्रकाशनके निरन्तरता देल गेल संस्था जनौलक अछि। उगना हॉ/ल्टक लेखक कुमार शैलेन्द्र आ निर्देशक संजय चौधरी छैथ। नाटकमे दिल्लीमे संघर्षरत मैथिली रंगकर्मीक जीवनक कटु सत्य देखएबाक प्रयास कएल गेल अछि। उगना हल्ट बिहारक मधुवनी जिलाक एक रेल्वे स्टेशनक नाम अछि , यद्यपि नाटकके परिवेश नयां दिल्लीक रंगकर्मीक अडडा मण्डी हाउसपर केन्द्रित अछि। स्थानीय पण्डौल आ सकरी बीचक स्टंशन अछि उगना हॉल्ट। नाटकमे मैथिली भाषा संस्कृतिक संरक्षणलेल अपस्यांत नवतुरियाक कथा ब्यथा समेटल गेल अछि। ओएह युवाक संघर्षक इतिबृत मे नाटक घुमैत अछि।। कियो संगीतकार बन' चाहैत अछि त कियो गीतकार, ककरो फ़िल्ममे हिरो बनबाक धुन सबार छइ त ककरो हिरोइन। अन्ततः कठिन संघर्षक बाद सभ अपन लक्ष्य प्राप्त करबामे सफ़ल होइत अछि। नाटकमे संगठने शक्ति अछि आ एहिँस सफ़लता पाबि सकैत छी से पाठ सिखएबाक प्रयास कएने छैथ नाटककार। छिरिआएल आ दिग्भ्रमित जँका बुझाईत पात्रक अभियान अन्तमे सफ़ल होइत अछि। अन्ततः नाटक सुखान्त अछि। (साभार विदेह: www.videha.co.in )

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